खुशखबरी, 18 साल का मिला एरियर (War Disability Pension) के बकाया भुगतान की मंजूरी

श्री हरभजन सिंह, कपूरथला पंजाब के निवासी को दिनांक 01.2006 से 31.08.2022 तक का युद्ध विकलांगता पेंशन ( War Disability Pension) के 30.09 लाख रुपये के बकाया भुगतान किया गया।

क्या था पूरा मामला

श्री हरभजन सिंह, भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट में हवलदार के पद पर कार्यरत थे। सेवा के दौरान उन्हें युद्ध में गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उन्हें युद्ध विकलांगता पेंशन (War Disability Pension) के लिए पात्र माना गया। PCDA ने 16 मार्च 2020 को PPO संख्या D/BC/278/2000 और D/BC/1250/2001 के तहत उनकी युद्ध विकलांगता पेंशन को मंजूरी दी।

दुर्भाग्यवश, पेंशन मंजूरी के बावजूद, उन्हें बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया, जिससे वह आर्थिक रूप से काफी परेशान रहे।

शिकायत दर्ज और निराकरण का प्रयास

श्री हरभजन सिंह ने सभी संभावित चैनलों से संपर्क किया, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। अंततः उन्होंने 28 अप्रैल 2024 को CPENGRAMS पोर्टल पर शिकायत संख्या DOPPW/E/2024/0030190 के माध्यम से अपनी समस्या दर्ज कराई। इसके बाद, डिपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर (DoPPW) ने इस मामले को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाया। 08 अगस्त 2024 और 03 सितंबर 2024 को पीसीडीए को समय पर समाधान के लिए रिमाइंडर भेजे गए।

मंत्रालयीय समीक्षा बैठकों में चर्चा

यह मामला 29 अगस्त 2024 और 24 सितंबर 2024 को आयोजित अंतर-मंत्रालयीय समीक्षा बैठकों में भी उठाया गया। इन निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप, मामले की गति तेज हुई और समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।

बकाया राशि का भुगतान

CPENGRAMS में शिकायत के बाद और लगातार प्रयासों के कारण, श्री हरभजन सिंह की शिकायत का समाधान हुआ और उन्हें 30.09 लाख रुपये की बकाया युद्ध विकलांगता पेंशन की राशि उनके बैंक खाते में जमा की गई। इस राशि से उन्हें न केवल आर्थिक राहत मिली, बल्कि समाज में सम्मानपूर्वक जीवनयापन करने का अवसर भी प्राप्त हुआ।

निष्कर्ष

श्री हरभजन सिंह की कहानी उन हजारों पेंशनभोगियों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह DoPPW के प्रयासों का भी प्रमाण है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो न्याय अवश्य मिलता है। साथ मे पेंशनभोगी और उनके परिवारों को सभी नियमो की जानकारी होनी चाहिए।

अगर ये CPENGRAMS में शिकायत दर्ज नही कराते तो इनका मामला ऐसे लटकता रहता। इसलिये पेंशनभोगी को ये पता रहना चाहिए कि उनको क्या करना है, क्या नही करना है।

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