नई दिल्ली, मार्च 2025 – कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के EPS-95 पेंशन से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के 4 नवंबर 2022 के फैसले को 28 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया गया है। इस देरी ने लाखों पेंशनभोगियों को निराश कर दिया है, खासकर वे बुजुर्ग पेंशनर्स जो 75 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 को EPS-95 योजना के तहत अधिक वेतन पर पेंशन के लिए पात्र पेंशनर्स को लाभ देने का आदेश दिया था। इस आदेश के अनुसार:
- उच्च पेंशन के लिए पात्र सदस्यों को उनके वेतन के आधार पर सही पेंशन दी जाए।
- रिटायर्ड कर्मचारियों को उनकी पेंशन में वृद्धि का लाभ मिले।
- EPFO और सरकार को इस आदेश को जल्द से जल्द लागू करना होगा।
सरकार और EPFO की निष्क्रियता
- आदेश के बावजूद EPFO और सरकार ने अब तक इसे पूरी तरह लागू नहीं किया।
- पेंशनर्स लगातार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- सरकार की चुप्पी और EPFO की सुस्त प्रक्रिया ने पेंशनर्स को निराश कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं ले रहा स्वतः संज्ञान?
- सुप्रीम कोर्ट अन्य मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है, जैसे कि रिटायर्ड जजों की पेंशन बढ़ाने की सिफारिश।
- EPS पेंशनर्स ने अपनी पूरी नौकरी के दौरान योगदान दिया, फिर भी उन्हें ₹1000-₹3000 के बीच न्यूनतम पेंशन मिल रही है, जो अत्यंत कम है।
- न्यायालय को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि हजारों पेंशनर्स 75 वर्ष से अधिक उम्र के हो चुके हैं और न्याय के इंतजार में ही उनकी उम्र समाप्त हो रही है।
क्या पेंशनर्स को अब भी उम्मीद रखनी चाहिए?
- EPS-95 पेंशनर्स को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करनी चाहिए, जिससे कोर्ट सरकार और EPFO को आदेश लागू करने के लिए मजबूर कर सके।
- यदि सरकार इसे लागू नहीं करती, तो यह न्यायिक प्रक्रिया का अनादर होगा और अदालत को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
- पेंशनर्स संघों को एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन और कानूनी लड़ाई जारी रखनी होगी।
निष्कर्ष
EPS-95 पेंशनर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है। सरकार की निष्क्रियता और EPFO की देरी ने लाखों बुजुर्ग पेंशनर्स को आर्थिक संकट में डाल दिया है। अब जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेकर सरकार और EPFO को आदेश लागू करने के लिए बाध्य करे ताकि लाखों पेंशनर्स को न्याय मिल सके।
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