इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि सेवानिवृत्ति लाभों से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती। यह फैसला उन पेंशनभोगियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जिनके सेवानिवृत्ति के बाद बिना किसी नोटिस या उचित समय दिए, उनके लाभों से वसूली की जा रही थी। इस फैसले का पेंशनधारकों ने खुले दिल से स्वागत किया है।
विभागों और बैंकों की मनमानी पर रोक
अक्सर देखा गया है कि कई विभाग और बैंक बिना नोटिस दिए ही पेंशनभोगियों के सेवानिवृत्ति लाभों से वसूली कर लेते हैं। कई बार कर्मचारियों की गलती न होने के बावजूद भी, उनके खिलाफ वसूली के आदेश जारी कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया न केवल पेंशनधारकों के लिए मानसिक तनाव का कारण बनती है, बल्कि उनके लिए वित्तीय संकट भी पैदा करती है।
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले में पुलिस आयुक्त, आगरा द्वारा 6 जनवरी 2024 को दिए गए वसूली के आदेश को रद्द कर दिया गया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति के लाभों से वसूली करना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा रफीक मसीह मामले में दिए गए आदेश के भी खिलाफ है।
सुंदर सिंह मामले में सुनवाई
इस मामले में याचिकाकर्ता सुंदर सिंह, जो कि एक रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर हैं, ने पुलिस आयुक्त, आगरा के खिलाफ याचिका दायर की थी। पुलिस आयुक्त ने सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सुंदर सिंह की ग्रेच्युटी और पेंशन से लगभग 13 लाख रुपये की वसूली का आदेश जारी किया था। इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
याचिकाकर्ता के वकीलों की दलीलें
याचिकाकर्ता के वकील सुयश पांडेय और नंदलाल पांडेय ने कोर्ट में तर्क दिया कि बिना किसी पूर्व नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए, वसूली का आदेश जारी किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 104 का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह मामले का जिक्र करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति लाभों से वसूली करना असंवैधानिक है और पेंशनधारकों के लिए अन्यायपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि रिटायरमेंट के बाद ग्रुप 3 और 4 के कर्मचारियों की पेंशन पहले से ही कम होती है और ऐसे में उन पर वसूली का दबाव बनाना न्यायसंगत नहीं है। यह फैसला पेंशनभोगियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।
वसूली के आदेश रद्द, पुनर्विचार का निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त, आगरा द्वारा दिए गए वसूली के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अगर भविष्य में कोई वसूली का आदेश जारी किया जाता है, तो पेंशनभोगी को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
इस फैसले ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और पेंशनधारकों को एक बड़ी राहत दी है। यह निर्णय न केवल उनके अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि विभागों और बैंकों की मनमानी पर भी रोक लगाता है। पेंशनधारकों को उम्मीद है कि यह फैसला भविष्य में उनके हितों की रक्षा करेगा।