आ गया कोर्ट का आदेश, कम्युटेशन बहाली पर खुशखबरी, 11 साल होते ही मिलेगा पूरी पेंशन, पेंशनभोगियों ने बाँटी मिठाईयां

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को उन कर्मचारियों से पेंशन की कम्युटेशन राशि वसूलने से रोक दिया है, जिन्होंने 10 साल की सेवानिवृत्ति पूरी कर ली है। इस फैसले के बाद अब सरकार यह राशि 15 साल तक वसूल नहीं करेगी। कोर्ट का यह फैसला पेंशनभोगियों के लिए बड़ी राहत है और भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

क्या है पूरा मामला?

हरियाणा सरकार अब तक कर्मचारियों की पेंशन की कम्युटेशन राशि को 15 साल तक वसूल करती आ रही थी, जबकि कई पेंशनभोगियों ने यह मांग की थी कि 10 साल की सेवानिवृत्ति पूरी करने के बाद पेंशन की पूरी बहाली होनी चाहिए। इस संबंध में 71 वर्षीय सेवानिवृत्त कर निरीक्षक शाम सुंदर और अन्य पेंशनभोगियों ने याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि पेंशन की पूरी बहाली 10 साल बाद होनी चाहिए।

अदालत का आदेश

न्यायमूर्ति संजय प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों से पेंशन की कम्युटेशन राशि वसूलने से रोक दिया है। अदालत ने हरियाणा के मुख्य सचिव और महालेखाकार (लेखा एवं परीक्षक) से 21 सितंबर 2024 तक इस मुद्दे पर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ताओं की मांग

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 10 साल की सेवानिवृत्ति पूरी करने पर पूरी पेंशन बहाल की जानी चाहिए, क्योंकि कम्युटेशन की राशि 11.5 सालों में ही वसूल हो जाती है। 15 साल की अवधि अनुचित है और इसका कोई ठोस आधार नहीं है। यह अवधि केवल राज्य को अतिरिक्त लाभ देने के लिए बनाई गई है, जो अनुचित है।

वकील का तर्क

याचिकाकर्ताओं के वकील, एडवोकेट विकास चत्रथ ने तर्क दिया कि राज्य सरकार 8.1% ब्याज दर के साथ 15 साल में कम्युटेशन राशि वसूल कर रही है, जबकि यह राशि 11.5 वर्षों में ही पूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि 15 वर्षों की अवधि को 12 साल तक बढ़ाना असंवैधानिक है, क्योंकि राज्य कर्मचारी 58 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं जबकि केंद्रीय कर्मचारी 60 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं।

हरियाणा सरकार की प्रतिक्रिया

अदालत ने हरियाणा सरकार को मुख्य सचिव और महालेखाकार के माध्यम से इस मुद्दे पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि 15 साल की अवधि क्यों तय की गई और इसे क्यों आवश्यक माना गया।

फैसले का व्यापक प्रभाव

यह फैसला न केवल हरियाणा के पेंशनभोगियों के लिए राहतभरा है, बल्कि अन्य राज्यों के पेंशनभोगियों के लिए भी एक उदाहरण बन सकता है। यदि अदालत याचिकाकर्ताओं के पक्ष में अंतिम निर्णय देती है, तो अन्य राज्य भी अपने पेंशन नियमों की समीक्षा करने के लिए बाध्य हो सकते हैं।

सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए राहत

इस फैसले से उन पेंशनभोगियों को बड़ी राहत मिलेगी, जिन्होंने 10 साल की सेवा पूरी कर ली है। इससे उनका आर्थिक बोझ कम होगा और उन्हें अधिक वित्तीय स्थिरता मिलेगी। इसके अलावा, यह सरकार को पेंशन नियमों में सुधार करने के लिए प्रेरित करेगा ताकि भविष्य में कर्मचारियों पर कोई अनुचित आर्थिक बोझ न पड़े।

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