बजट 2025: टैक्स रहित पेंशन, OPS बहाली और 8वें वेतन आयोग की मांग, सरकारी कर्मचारियों ने की ‘मन की बात’

केंद्रीय बजट 2025-26 को लेकर जहां सरकार तैयारियों में जुटी है, वहीं देशभर के सरकारी कर्मचारी भी अपनी मांगें सरकार के सामने रख रहे हैं। सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर लगभग दर्जनभर मांगें प्रस्तुत की हैं। इनमें प्रमुख मांगें पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली, टैक्स रहित पेंशन, 8वें वेतन आयोग का गठन, निजीकरण पर रोक, नियमित भर्ती और जीएसटी में कटौती शामिल हैं।


मुख्य मांगें और सुझाव

1. टैक्स रहित पेंशन की मांग

ट्रेड यूनियनों का कहना है कि पेंशन पर टैक्स लगाना अनुचित है। सेवानिवृत्त कर्मियों के लिए पेंशन पर से पूरी तरह टैक्स हटाने की मांग की गई है।

2. पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली

ट्रेड यूनियनों ने नई पेंशन योजना (NPS) को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने की मांग की है। यूनियनों का कहना है कि OPS ही कर्मचारियों के लिए एकमात्र लाभकारी पेंशन योजना हो सकती है।

3. 8वें वेतन आयोग का गठन

यूनियनों ने मांग की है कि 8वें वेतन आयोग का गठन तुरंत किया जाए ताकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन में उचित वृद्धि हो सके। 7वें वेतन आयोग को लागू हुए 9 वर्ष हो चुके हैं, और कर्मचारियों को अब वेतन संशोधन की आवश्यकता है।

4. जीएसटी में कटौती

आवश्यक खाद्य पदार्थों, दवाओं और चिकित्सा बीमा पर GST की दरों में कटौती की मांग की गई है। यूनियनों का कहना है कि आम जनता पर पड़ रहे भारी कर बोझ को कम करने के लिए यह कदम जरूरी है।

5. विरासत कर (Inheritance Tax) लागू करने का सुझाव

सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह विरासत कर लागू कर संसाधन जुटाए। अत्यधिक अमीरों पर विरासत कर लगाने से बजट प्राप्तियों में बड़ी राशि इकट्ठा हो सकती है, जिसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों में किया जा सकता है।

6. कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाने की मांग

यूनियनों का कहना है कि दशकों से कॉर्पोरेट टैक्स में अनुचित कटौती की जा रही है। इसके बजाय, सरकार को कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाने पर विचार करना चाहिए ताकि राजस्व में वृद्धि हो सके।


वेतनभोगियों के लिए विशेष मांगें

1. आयकर छूट सीमा में वृद्धि

वेतनभोगियों के लिए आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर ₹15 लाख प्रति वर्ष करने की मांग की गई है।

2. ईपीएफओ और ईएसआई योगदान की सीमा में वृद्धि

यूनियनों ने EPFO और ESI में योगदान की सीमा और पात्रता में वृद्धि करने का भी सुझाव दिया है ताकि कर्मचारियों को अधिक लाभ मिल सके। EPS पेंशन 7500 व महँगाई भत्ता देने की माँग की गई।

3. ग्रेच्युटी पर लगी सीमा हटाने की मांग

यूनियनों ने ग्रेच्युटी की सीमा को हटाने और सेवानिवृत्ति पर सभी कर्मचारियों को उच्च ग्रेच्युटी भुगतान सुनिश्चित करने की मांग की है।

4. मनरेगा के लिए अधिक बजट आवंटन

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए मनरेगा (MGNREGA) के बजट आवंटन को बढ़ाने की मांग की गई है।


निजीकरण के खिलाफ कड़ा रुख

1. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) का निजीकरण रोकने की मांग

यूनियनों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जैसे बीएसएनएल, आरआईएनएल और एनएमडीसी का निजीकरण रोकने की मांग की है।

2. रेलवे, कोयला और बिजली क्षेत्र में निजीकरण बंद करने की मांग

रेलवे, कोयला, खनन और बिजली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रही निजीकरण प्रक्रिया को तुरंत बंद करने का अनुरोध किया गया है।

3. बीमा क्षेत्र में FDI की अनुमति वापस लेने की मांग

यूनियनों ने बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति देने वाले विधेयक को वापस लेने की मांग की है।


रोजगार से संबंधित सुझाव

1. नियमित भर्ती और रोजगार सृजन

यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार के विभागों और PSUs में सभी रिक्तियों को तुरंत भरा जाना चाहिए। ठेकेदारी और आउटसोर्सिंग प्रथा को बंद कर नियमित रोजगार सुनिश्चित करने की मांग की गई है।

2. समान काम के लिए समान वेतन

यूनियनों ने समान काम के लिए समान वेतन की नीति को लागू करने की मांग की है ताकि कर्मचारियों को भेदभाव से बचाया जा सके।

3. अग्निवीर, आयुधवीर और कोयलावीर योजना बंद करने की मांग

सरकार द्वारा अग्निवीर, आयुधवीर और कोयलावीर जैसी योजनाओं को बंद करने और उनकी जगह नियमित रोजगार देने का प्रस्ताव रखा गया है।


निष्कर्ष

ट्रेड यूनियनों ने बजट 2025 के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव और मांगें प्रस्तुत की हैं। उनकी मांग है कि सरकार श्रमिकों और कर्मचारियों की समस्याओं को समझते हुए ठोस कदम उठाए। खासकर OPS बहाली, 8वें वेतन आयोग का गठन, पेंशन पर टैक्स हटाने और निजीकरण रोकने जैसी मांगों पर सरकार से सकारात्मक रुख अपनाने की उम्मीद की जा रही है।

अब देखना यह है कि आगामी बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन मांगों पर क्या निर्णय लेती हैं और क्या सरकारी कर्मचारियों व पेंशनभोगियों को राहत मिलती है।

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