18 महीने का एरियर, पुरानी पेन्शन बहाल न करना बीजेपी की बहुमत से दूर रहने की बड़ी वजह

कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की मांगें अनसुनी रहीं

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के संगठनों ने पीएम मोदी से अपनी लंबित मांगों को पूरा करने की अपील की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे नजरअंदाज कर दिया। नतीजा यह हुआ कि कर्मचारियों और पेंशनभोगियों ने सरकार को वोट की चोट दे दी।

चेतावनी को नजरअंदाज करने का नतीजा

कर्मचारी और पेंशनभोगी संगठनों ने चेतावनी दी थी कि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो लोकसभा चुनाव में वोट नहीं देंगे। यह बात सच साबित हुई और भाजपा अकेले दम पर सरकार नहीं बना सकी। अब उसे गठबंधन की मदद से सरकार बनानी पड़ेगी।

कर्मचारियों की अनदेखी

कर्मचारी और पेंशनभोगी केंद्र सरकार से बार-बार अपनी मांगें पूरी करने की गुहार लगाते रहे। लेकिन सरकार ने उनकी मांगों को दरकिनार कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि वोट की चोट ने सरकार को सबक सिखाया।

नाराज कर्मचारियों का असर

इस चुनाव परिणाम से साफ है कि नाराज कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर वे नाराज होते हैं, तो सरकार का सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जाता है।

18 महीने का एरियर: बड़ा मुद्दा

महंगाई भत्ता फ्रीज

बीजेपी को बहुमत न मिलने का सबसे बड़ा कारण 18 महीने का एरियर है। 1 जनवरी 2020 से 30 जून 2021 तक का महंगाई भत्ता फ्रीज कर दिया गया था। कोरोना के बाद आर्थिक स्थिति सुधरने पर भी इसका भुगतान नहीं किया गया, जिससे पेंशनभोगी नाराज हो गए।

पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल न करना

नई पेंशन व्यवस्था में कमी

1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों की मांग थी कि पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए। नई पेंशन में केवल ₹1000-₹2000 मिलते हैं, जो नाकाफी है। केंद्र सरकार ने इस मांग को भी अनसुना कर दिया।

आठवे वेतन आयोग पर कमेटी का गठन न करना

समय पर रिपोर्ट की मांग

कर्मचारियों ने आठवे वेतन आयोग पर कमेटी के गठन की मांग की थी ताकि समय पर रिपोर्ट मिल सके। लेकिन सरकार ने इसे भी नजरअंदाज कर दिया।

अग्निवीर योजना: हार का कारण

भर्ती परंपरा में बदलाव

केंद्र सरकार ने अग्निवीर योजना लाई जिसमें एक अग्निवीर केवल 4 साल की सेवा दे सकता है। इसमें पहले की तरह लाभ नहीं मिलता, जिससे यह योजना बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हुई।

रेलवे किराए में 50% छूट बंद करना

सीनियर सिटीजन की नाराजगी

कोरोना से पहले सीनियर सिटीजन को रेलवे किराए में 50% छूट मिलती थी। इसे बहाल न करने से पेंशनभोगी नाराज हो गए और सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

कम्यूटेशन बहाली 12 साल करने की मांग

लंबित मांगें

पेंशनभोगियों की मांग थी कि कम्यूटेशन बहाली 15 साल से घटाकर 12 साल की जाए। इसे भी सरकार ने अनसुना किया, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई।

65 साल से अतिरिक्त पेंशन

5% पेंशन बढ़ोतरी की मांग

पेंशनभोगियों की मांग थी कि 65 साल की उम्र से 5% अतिरिक्त पेंशन मिले। लेकिन सरकार ने इस पर विचार नहीं किया, जिससे पेंशनभोगी सरकार से नाराज हो गए।

नतीजा: बहुमत नहीं, गठबंधन पर निर्भरता

इन मांगों को पूरा न करने के कारण बीजेपी को बहुमत नहीं मिला। अब सत्ता में बने रहने के लिए उसे सहयोगी दलों पर निर्भर रहना पड़ेगा।

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