हमारे माता-पिता हमें इस काबिल बनाते हैं कि हम अपनी जिंदगी अच्छे से जी सकें। उन्होंने हमें बचपन से लेकर बड़े होने तक हर कदम पर सहारा दिया, लेकिन जब वही माता-पिता बुजुर्ग हो जाते हैं, तो अक्सर उन्हें अपने ही बच्चों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है या फिर वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर होना पड़ता हैं।
बुजुर्गों की मजबूरी
बहुत से बुजुर्ग माता-पिता यह सोचते हैं कि उनकी दवाइयों और इलाज पर होने वाले खर्च की वजह से उनके बच्चों की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए वे स्वयं ही वृद्धाश्रम का रास्ता चुन लेते हैं, ताकि बच्चों पर बोझ न बनें। ऐसे में उनके मन की पीड़ा को समझ पाना आसान नहीं है।
आयुष्मान भारत योजना: बुजुर्गों के लिए वरदान
केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना ने बुजुर्गों के लिए एक नई उम्मीद की किरण पैदा की है। इस योजना के तहत, 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलेगी। इससे पूरे देश में लगभग 6 करोड़ बुजुर्ग लाभान्वित होगे। अब बुजुर्ग माता-पिता को यह नहीं लगेगा कि उनके इलाज का खर्च उनके बच्चों के लिए बोझ है।
न्यायपालिका का दृष्टिकोण
न्यायपालिका ने भी समय-समय पर बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के संबंध में महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश
2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि बुढ़ापे में माता-पिता की देखभाल करना बच्चों का नैतिक और कानूनी दायित्व है। एक मामले में कोर्ट ने 10 रुपये गुजारा भत्ता देने में आनाकानी करने वाले बेटे को फटकार लगाई थी। - कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला
जुलाई 2021 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि संपत्ति पर बुजुर्ग माता-पिता का ही अधिकार है, और बेटे-बहू तो सिर्फ लाइसेंसी होते हैं। यदि कोई देश अपने बुजुर्गों और कमजोर नागरिकों की देखभाल नहीं कर सकता, तो वह एक पूर्ण सभ्य देश नहीं कहलाता। - पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का निर्णय:
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि बच्चों को अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करनी ही होगी। कोर्ट ने 76 साल की बुजुर्ग विधवा महिला की संपत्ति को उसके बेटे द्वारा धोखाधड़ी से अपने नाम करवाने के मामले में बेटे के नाम पर संपत्ति ट्रांसफर को रद्द कर दिया था
निष्कर्ष
आयुष्मान भारत योजना जैसे सरकारी प्रयास बुजुर्गों के लिए बुढ़ापे की लाठी बन रहे हैं। अब उन्हें अपने बच्चों के सामने हाथ फैलाने या वृद्धाश्रम का सहारा लेने की आवश्यकता नहीं है। यह योजना न केवल बुजुर्गों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और सम्मानजनक जीवन जीने के अधिकार की रक्षा भी करेगी। साथ ही, न्यायपालिका के फैसले भी यह सुनिश्चित करते हैं कि बच्चों की जिम्मेदारी से कोई भी पीछे न हटे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अब बुजुर्गों को किसी सहारे की जरूरत नहीं, क्योंकि उनके पास आयुष्मान भारत योजना जैसी ‘लाठी’ है।
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