वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना: 10 वर्षों का ऐतिहासिक सफर, केंद्र सरकार ने दी खुशखबरी

वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना भारत सरकार की उन ऐतिहासिक पहलों में से एक है, जो पूर्व सैनिकों के कल्याण और उनके बलिदान का सम्मान करती है। 7 नवंबर 2015 को इस योजना को औपचारिक रूप से लागू किया गया, और अब यह 2024 में अपने 10 वर्षों के सफल सफर का जश्न मना रही है। इस नीति ने लाखों पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के जीवन में वित्तीय स्थिरता और सम्मान सुनिश्चित किया है।

OROP योजना: क्या है इसका उद्देश्य?

वन रैंक वन पेंशन योजना का मुख्य उद्देश्य समान रैंक और समान सेवा अवधि के साथ सेवानिवृत्त हुए सैनिकों को समान पेंशन प्रदान करना है, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि कुछ भी हो। यह पहल पेंशन लाभों में समय के साथ आई असमानताओं को दूर करती है और सुनिश्चित करती है कि सभी पूर्व सैनिकों के साथ न्याय हो।

OROP योजना की मुख्य विशेषताएं:

 1. समान पेंशन प्रणाली:  

  1 जुलाई 2014 से सभी पूर्व सैनिकों की पेंशन 2013 में सेवानिवृत्त हुए कर्मियों के पेंशन मानकों के अनुसार पुनः निर्धारित की गई।

2.निश्चित अवधि में संशोधन:  

 पेंशन का पुनर्निर्धारण हर 5 साल में किया जाता है ताकि यह वेतन और महंगाई के अनुरूप बनी रहे।

3. बकाया भुगतान  

पिछली पेंशन और नई पेंशन के बीच अंतर की राशि का भुगतान अर्धवार्षिक किश्तों में किया गया। वीरता पुरस्कार विजेताओं और पारिवारिक पेंशनधारकों के लिए बकाया राशि एकमुश्त दी गई।  

4. सभी रैंकों का समावेश:  

 यह योजना 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सभी रैंकों के कर्मियों पर लागू होती है, जिसमें पारिवारिक पेंशनधारक भी शामिल हैं।

लंबे संघर्ष के बाद आया समाधान:

वन रैंक वन पेंशन योजना का कार्यान्वयन लगभग 40 वर्षों के संघर्ष का परिणाम है। इस मांग को कई सरकारों और समितियों ने मान्यता दी थी, लेकिन वित्तीय और प्रशासनिक जटिलताओं के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। 

कुछ प्रमुख घटनाक्रम:  

1984 में केपी सिंह देव समिति ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया उसके बाद 1991 में शरद पवार समिति ने इस पर विचार किया तत्पश्चात 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस योजना को लागू करने के लिए बजट में ₹1,000 करोड़ आवंटित किए गए। 2015 में आधिकारिक रूप से OROP का आदेश जारी हुआ।

OROP योजना का प्रभाव:

 1. वित्तीय लाभ  

 इस योजना से लगभग 25 लाख पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को वित्तीय स्थिरता मिली। पेंशन में वृद्धि ने उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाया।  

2. सम्मान और स्वीकृति:  

 यह योजना पूर्व सैनिकों के बलिदान को मान्यता देने का प्रतीक बनी। इससे सैनिकों और सरकार के बीच संबंध मजबूत हुए।

3. सामाजिक प्रभाव  

यह नीति न केवल वित्तीय, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक रूप से भी सशक्तिकरण का साधन बनी। शहीद परिवारों और वीरता पुरस्कार विजेताओं को विशेष सम्मान दिया गया।

OROP का भविष्य: निरंतर प्रासंगिकता

OROP योजना का हर 5 साल में पुनर्निर्धारण इसे भविष्य के लिए प्रासंगिक बनाए रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि पूर्व सैनिकों की बदलती जरूरतों और बढ़ती महंगाई के अनुरूप पेंशन में सुधार होता रहे। 

निष्कर्ष

वन रैंक वन पेंशन योजना ने पिछले एक दशक में भारतीय सेना के पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को सम्मान, सुरक्षा और स्थिरता प्रदान की है। यह योजना न केवल एक नीतिगत बदलाव थी, बल्कि यह राष्ट्र की ओर से अपने सैनिकों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक भी है। आने वाले वर्षों में OROP योजना के तहत और अधिक सुधार और लाभ की उम्मीद की जा सकती है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे सैन्य नायकों और उनके परिवारों को उनका हक और सम्मान मिलता रहे।

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