पेंशनभोगियों के Notional Increment पर खुशखबरी आ चुकी है। केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन वृद्धि की तारीख 1 जुलाई और 1 जनवरी है। परंतु, कई कर्मचारी जो 30 जून या 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होते हैं, तो उनको इस वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता था, जिससे उनकी पेंशन तो प्रभावित होती ही थी साथ में ग्रेच्युटी और लिव इनकैशमेंट भी प्रभावित होती थी।
इस मुद्दे को लेकर विभिन्न अदालतों में केस हुए, जिसके बाद केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया। तो चलिए इस आदेश में क्या है पूरी खबर को जान लेते है। उसके पहले पूरा मामला विस्तार से समझ लेते है।
Notional Increment पर मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला:
आपको बता दूँ कि 2017 में, मद्रास हाईकोर्ट ने पी. अय्यमपेरुमल बनाम भारत संघ के मामले में फैसला सुनाया कि 30 जून या 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाए, ताकि उनकी पेंशन में बढ़ोतरी हो। कोर्ट के इस फैसले के बाद पेंशनभोगियो को एक वेतन वृद्धि का लाभ दिया गया पर सभी को नही दिया गया केवल उसी को फायदा दिया गया जो कोर्ट केस किये थे।
सुप्रीम कोर्ट का 2023 का आदेश:
2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सी. पी. मुंडिनामानी के मामले में इसी तरह का निर्णय बरकरार रखा, जिसमें अदालत ने पेंशन लाभों की गणना में वेतन वृद्धि को शामिल करने का आदेश दिया था। यह फैसला सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए राहत साबित हुआ, परंतु केंद्र सरकार की तरफ से इस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का 6 सितंबर 2024 का अंतरिम आदेश:
6 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें यह निर्देश दिया गया कि सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को काल्पनिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाएगा इस आदेश का उद्देश्य उन कर्मचारियों को लाभ पहुंचाना है जो एक दिन पहले सेवानिवृत्त हुए थे और वेतन वृद्धि का लाभ नहीं ले पाए थे। फिलहाल ये अंतरिम आदेश है, आखिरी सुनवाई 4 नवंबर 2024 को होगी।
केंद्र सरकार ने जारी किया दिशा-निर्देश:
1) 30 जून या 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को 1 जुलाई या 1 जनवरी को काल्पनिक वेतन वृद्धि का लाभ पेंशन गणना के लिए दिया जाएगा।
2) यह वृद्धि केवल पेंशन गणना के लिए ही मान्य होगी, अन्य पेंशनरी लाभ जैसे कि ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट में नहीं जोड़ी जाएगी।
3) यह आदेश उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा जहां न्यायालयों में अपील लंबित है।
4) यदि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले में बदलाव होता है, तो इस आदेश को संशोधित किया जाएगा।
अंतिम निष्कर्ष:
यह दिशा-निर्देश सुप्रीम कोर्ट के 6 सितंबर 2024 के अंतरिम आदेश के तहत लागू किए गए हैं। हालांकि, यह आदेश अंतिम नहीं है और पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 4 नवंबर को फैसला सुनाएगा। अंतिम फैसले के आधार पर इसमें बदलाव किए जा सकते हैं।