17 दिसंबर भारतीय पेंशनभोगियों के लिए एक विशेष दिन है। 1982 में इसी दिन, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को गरिमा, सम्मान और न्याय प्रदान किया था। इस दिन को विशेष रूप से स्वर्गीय डीएस नाकारा की स्मृति और उनके संघर्ष के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ‘पेंशनर्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
डीएस नाकारा केस और ऐतिहासिक फैसला
17 दिसंबर 1982 को, सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश स्वर्गीय न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ ने पेंशन पर एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए कहा था:
“पेंशन न तो कोई उपहार है, न ही नियोक्ता की इच्छा पर निर्भर रहने वाली कृपा है, न ही यह कोई अनुग्रह राशि है। यह पूर्व में की गई सेवाओं के लिए भुगतान है। यह एक सामाजिक कल्याणकारी उपाय है जो उन लोगों को सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करता है, जिन्होंने अपने जीवन के सुनहरे दिनों में नियोक्ता के लिए इस आश्वासन पर काम किया कि बुढ़ापे में उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा।”
यह ऐतिहासिक निर्णय सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन के अधिकार के रूप में स्थापित करता है और यह बताता है कि पेंशन सम्मानपूर्वक जीवन जीने के लिए एक मौलिक सामाजिक सुरक्षा है।
आज भी जारी है संघर्ष
हालांकि, इस ऐतिहासिक फैसले के चार दशक बाद भी, पेंशनभोगियों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं हुई है। विशेष रूप से केन्द्रिय, बैंक पेंशनभोगियों और अन्य संगठनों के कर्मचारियों को अभी भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
महत्वपूर्ण मुद्दे:
पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली:
वर्ष 2005 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया। आज लाखों युवा कर्मचारी पुरानी पेंशन की बहाली के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
न्याय और गरिमा का सवाल:
पेंशन सिर्फ एक वित्तीय मदद नहीं है, बल्कि बुजुर्ग कर्मचारियों के सम्मान और शालीनता से जीने का आधार है।
संघर्ष को नई दिशा देने की जरूरत
पेंशनभोगियों को न्याय दिलाने के लिए सामूहिक संघर्ष: पेंशनभोगियों को एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।
युवाओं का समर्थन:
पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे युवाओं के संघर्ष में शामिल होना और उनका मार्गदर्शन करना होगा।
संगठनात्मक मजबूती: पेंशनर्स संघों और समूहों को मिलकर अपनी ताकत बढ़ानी होगी।
पेंशनर्स दिवस पर संकल्प
इस पेंशनर्स दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि:
हम सभी पेंशनभोगियों के अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करेंगे। पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली के आंदोलन को और मजबूत करेंगे। पेंशनभोगियों की गरिमा और सम्मान को बनाए रखने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
निष्कर्ष
पेंशन न्याय है, सम्मान है और बुजुर्ग कर्मचारियों के अधिकार का सशक्त प्रतीक है। आइए, इस दिन हम मिलकर उन संघर्षों को याद करें और आगे की लड़ाई को एक नई दिशा दें।