भारत पेंशनभोगी समाज (BPS) ने बुजुर्गों को स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से बड़ी मांग की है और एक लेटर लिखा है जिसमे कहा गया है कि 70 साल ऊपर के बुर्जुगों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया है हम उसकी सराहना करते है। यह योजना बुजुर्गों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। सरकार द्वारा इस योजना के लिए 3,437 करोड़ रुपये का आवंटन इस दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, जैसे-जैसे बुजुर्गों की स्वास्थ्य आवश्यकताएं बढ़ेंगी वैसे ही इस योजना की वित्तीय मांगों में भी अत्यधिक वृद्धि होगी। इसलिए भविष्य में सरकार चुनौतियों का सामना कर सकती है।
क्या है चुनौतियाँ
आयुष्मान भारत योजना के पीछे का उद्देश्य अत्यधिक सराहनीय है, लेकिन इसके साथ-साथ अन्य योजनाओं जैसे CGHS, RELHS और ECHS के क्रियान्वयन में भी कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं। इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य बुजुर्गों के स्वास्थ्य खर्चों को कम करना है, लेकिन इनकी कई समस्याओं के कारण यह अपने उद्देश्यों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पा रही हैं।
एक प्रमुख समस्या सेवाओं की गुणवत्ता में कमी है। इन योजनाओं से जुड़े अस्पतालों को सरकार समय से पैसा नही देती है जिससे भुगतान में देरी होती है, जिसके कारण कई अस्पताल इन योजनाओं में शामिल होने से बचते हैं। निजी अस्पतालों को भी सरकार द्वारा तय की गई दरें मान्य नही होती, जिससे वे इन योजनाओं के तहत सेवाएं देने से बचते हैं।
भारत पेंशनभोगी समाज के सुझाव
भारत पेंशनभोगी समाज (BPS) ने इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:
1. नियम में करे बदलाव
केंद्र सरकार नियम 9 को लागू कर निजी अस्पतालों में उपचार की लागत को फिक्स कर सकती है। इससे बिलिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और सार्वजनिक अस्पतालों एवं निजी क्षेत्र के बीच कीमतों में अंतर कम हो सकेगा।
2. दरों का नियमित पुनरीक्षण
सभी सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं, जिनमें आयुष्मान भारत भी शामिल है, के तहत पैकेज और प्रक्रियाओं की दरों को बाजार की स्थिति के अनुसार समय-समय पर पुनरीक्षित किया जाना चाहिए। इससे निजी अस्पतालों में सेवाओं की वास्तविक लागत और सरकारी योजनाओं के प्रतिपूर्ति के बीच के अंतर को कम किया जा सकेगा।
3. सब्सिडी वाले अस्पतालों को CGHS, Ayushman योजना में शामिल करना
वे निजी अस्पताल जिन्होंने सरकार से भूमि या अन्य सुविधाएँ रियायती दरों पर प्राप्त की हैं, या जिनको किसी भी रूप में सरकारी सहायता प्राप्त हुई है, उन्हें सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत अनिवार्य रूप से सूचीबद्ध होना चाहिए। इससे आयुष्मान भारत और CGHS जैसी योजनाओं के तहत उपलब्ध अस्पतालों का नेटवर्क बढ़ सकेगा।
निष्कर्ष
भारत पेंशनभोगी समाज का मानना है कि अगर इन सुझावों को लागू किया जाता है, तो इससे वर्तमान समस्याओं का समाधान होगा और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं की प्रभावशीलता में सुधार होगा। बुजुर्गों, विशेष रूप से पेंशनभोगियों, को एक ऐसे स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है जो गुणवत्ता वाली देखभाल प्रदान करे और उन पर वित्तीय बोझ न डाले। सरकार को त्वरित और निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इन योजनाओं की सेवाओं में सुधार हो और बुजुर्ग नागरिकों के स्वास्थ्य और सम्मान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।