सैनिको और पूर्व सैनिको को शानदार तोहफा: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फैसला

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सेना के एक रिटायर्ड सैनिक को विकलांगता पेंशन देने का आदेश दिया है। इस फैसले में उच्च न्यायालय ने भारत सरकार की अपील को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यदि कोई सैनिक अपनी सेवा के दौरान उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) जैसे विकार का शिकार होता है, तो उसे विकलांगता पेंशन के लिए पात्र माना जाएगा। 

केस की पृष्ठभूमि:

सेना के एक सैनिक जिन्होंने 2002 में सैन्य सेवा शुरू की थी, उन्होंने आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल (AFT) में याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि सेवा के समय वह पूरी तरह से स्वस्थ थे, लेकिन सेवा के दौरान उन्हें स्टेज-1 हाइपरटेंशन की बीमारी हो गई। 2019 में सेवा मुक्त होने के समय, मेडिकल बोर्ड ने उनकी विकलांगता को 30% आंका था। सैनिक ने विकलांगता पेंशन के लिए दावा किया था, जिसे केंद्र सरकार ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी विकलांगता न तो सैन्य सेवा के कारण हुई थी और न ही उससे बढ़ी थी।

एएफटी का फैसला और हाई कोर्ट का आदेश:

आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल (AFT) ने सैनिक के पक्ष में फैसला सुनाया और उन्हें विकलांगता पेंशन के लिए पात्र माना। सरकार ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील दायर की। केंद्र सरकार ने दलील दी कि मेडिकल बोर्ड के अनुसार, विकलांगता का सैन्य सेवा से कोई संबंध नहीं था, और इसलिए, इसे विकलांगता पेंशन के तहत नहीं माना जा सकता। 

सरकार की अपील हुई खारिज

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सरकार की अपील को खारिज कर दिया और एएफटी के फैसले को सही ठहराया। हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि सैनिक को सैन्य सेवा के दौरान उच्च रक्तचाप की बीमारी हुई थी, और चूंकि सेवा के समय वे पूरी तरह से स्वस्थ थे, इसलिए यह विकलांगता सैन्य सेवा के कारण ही उत्पन्न हुई मानी जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार यह साबित करने में असफल रही कि अधिकारी वंशानुगत रूप से इस बीमारी से पीड़ित थे। कोर्ट ने माना कि सेना में सेवा करते समय अगर कोई व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर स्टेज वन का शिकार हो जाता है तो उसे विकलांगता पेंशन का हकदार माना जाएगा।

इस निर्णय का महत्व:

इस फैसले से यह सिद्ध होता है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी सैन्य सेवा के दौरान विकलांगता का शिकार होता है, चाहे वह बीमारी सेवा के शुरूआत में हो या बाद में, तो उसे विकलांगता पेंशन के लिए पात्र माना जाएगा। यह फैसला सेना के उन सैनिको के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी सेवा के दौरान किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझते हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

निष्कर्ष:

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए सैनिको के लिए विकलांगता पेंशन प्राप्त करने के मार्ग को मजबूत किया है। इस फैसले से यह साबित होता है कि यदि कोई सैनिक सेवा के दौरान किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित होता है, तो उसे विकलांगता पेंशन का अधिकार है।

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