EPS-95 पेंशनर्स की लड़ाई: न्याय के इंतजार में संघर्ष का एक और साल

नई दिल्ली: EPS-95 पेंशन योजना के तहत पेंशन बढ़ाने की मांग को लेकर NAC (National Agitation Committee) के नेता कमांडर अशोक राउत और उनकी टीम पिछले कई वर्षों से लगातार संघर्ष कर रही है। लेकिन अब तक सरकार और EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

कई प्रयास, लेकिन नतीजा शून्य

EPS-95 पेंशनर्स को न्यूनतम ₹7500 पेंशन और महंगाई राहत (DA) देने की मांग को लेकर देशभर में संसद सदस्यों, राज्य विधायिकाओं, केंद्रीय एवं राज्य सरकार के मंत्रियों, CBT (सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज) के सदस्यों और EPFO अधिकारियों को लगातार ज्ञापन दिए गए हैं।

2014 से अब तक कई श्रम मंत्रियों के साथ बैठकें भी हुई हैं, लेकिन सरकार और EPFO अपने पुराने रवैये पर कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, पेंशनर्स को उच्च पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है।

EPFO का टालमटोल वाला रवैया

EPFO पेंशनर्स को कानूनी लड़ाई में उलझाकर मामले को लंबा खींच रहा है। कई पेंशनर्स हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, लेकिन यह भी साफ है कि अदालतें सिर्फ फैसला सुना सकती हैं, अमल करवाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है।

2016 और 2022 के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद EPFO की मनमानी और गलत व्याख्या के कारण हजारों पेंशनर्स का हक मारा गया है।

अब एकता और आंदोलन ही आखिरी रास्ता

EPS-95 पेंशनर्स को अब समझना होगा कि केवल कोर्ट में केस लड़ने से समाधान नहीं निकलेगा। सरकार और EPFO को झुकाने के लिए सड़कों पर उतरकर शक्ति प्रदर्शन ही एकमात्र विकल्प बचा है।

  • सरकार के भरोसे बैठना अब उचित नहीं है।
  • हर पेंशनर को आंदोलन में शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।
  • एकता ही न्याय दिला सकती है, वरना यह संघर्ष और लंबा खिंच सकता है।

अब और देर नहीं! एकजुट हों, आवाज उठाएं

पिछले 10 वर्षों में लाखों EPS-95 पेंशनर्स न्याय की आस में दुनिया छोड़ चुके हैं। यह संघर्ष देश के वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई है। अब सवाल यह है कि हम और कितने साल इंतजार करेंगे?

👉 EPS-95 पेंशनर्स को न्याय दिलाने के लिए सरकार को मजबूर करने का समय आ गया है!
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9 thoughts on “EPS-95 पेंशनर्स की लड़ाई: न्याय के इंतजार में संघर्ष का एक और साल”

  1. खैरात में बांटने के लिए सरकार तत्पर है लेकिन पेंशनर को देने के लिए कोई निर्णय नही लेना असंवेदनशील रवैया है,

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  2. The struggle should be continued till the minimum pension Rs.7500.00 per month alongwith dearness and medical facility is sanctioned by EPFO.

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  3. This govt can give a lot of money benifits to industrialists like Adani and Ambani but there is no fund for poor retired persons of private sector

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  4. The hide and seej play between Govt. and EPFO is the main reason ffor not disbursing the the pension which this Govt.announced in this budget and provisin for the same has already been made in 2025-2026 budget. Inspite of all these why this stalemate.

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  5. भारत एकमात्र ऐसा देश है झूठ को सच में तब्दील कर दिया जाता है इसलिए आम इंसान केवल भगवान का ही भरोसा है

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