कर्मचारी जब रिटायर होते हैं तो वे अपनी पेंशन का 40% हिस्सा कम्युटेशन कराते हैं। कम्युटेशन कराने के बाद उनकी पेंशन से हर महीना कटौती होती है और एक कटौती पूरे 15 साल तक चलती है।
जैसे ही पेंशनभोगी कम्यूटेशन कराते हैं तो उनको उसका पैसा मिल जाना चाहिए लेकिन उसका पैसा जल्दी नहीं मिल पाता है। तो ऐसे ही एक सच्ची कहानी DoPPW द्वारा शेयर किया गया है ताकि सभी पेंशनभोगी जागरूक हो सके।
पेंशनभोगी-श्री पवन कुमार
निवासी- कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
मामला- 4 वर्षों तक लंबित पेंशन कम्युटेशन राशि (CVP) का भुगतान, कुल 14.98 लाख रुपये किया गया।
कम्युटेशन का क्या था पूरा मामला
श्री पवन कुमार, भारतीय सेना में सूबेदार के पद से 31 दिसंबर 2020 को सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें लगभग 15 लाख रुपये की पेंशन कम्युटेशन राशि (CVP) स्वीकृत की गई थी, लेकिन यह राशि उनके खाते में जमा नहीं हो सकी। इस देरी के कारण उन्हें गंभीर वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
उन्होंने अपने हक का भुगतान पाने के लिए हर संभव प्रयास किए, लेकिन प्रक्रिया में देरी होती रही।
शिकायत दर्ज और पुनः पंजीकरण
श्री पवन कुमार ने 20 अक्टूबर 2022 को CPENGRAMS पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करवाई। हालांकि, पीसीडीए (PCDA) ने केवल बैंक को एक पत्र भेजकर इस शिकायत को बंद कर दिया।
इसके बाद उनकी शिकायत को पुनः पंजीकृत किया गया और DoPPW ने इसे पीसीडीए को भेजा। लेकिन मामला बैंक और पीसीडीए के बीच अटका रहा, जिससे समाधान नहीं हो सका।
DoPPW की भूमिका और समाधान
लगातार कई रिमाइंडर भेजने और इंटर मिनिस्टेरियल रिव्यू मीटिंग्स में उनके मामले को उठाने के बाद, पवन कुमार को ग्रेच्युटी के 66,066 रुपये का भुगतान किया गया, लेकिन पेंशन कम्युटेशन राशि अभी भी लंबित थी।
अंततः, 24 सितंबर 2024 को उनकी शिकायत को फिर से दर्ज किया गया और DoPPW द्वारा इसे सक्रिय रूप से मॉनिटर किया गया। उनके लगातार प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि 14.98 लाख रुपये की पेंशन कम्युटेशन राशि का भुगतान सफलतापूर्वक किया गया।
निष्कर्ष
यह मामला उन पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण है, जो अपने लंबित लाभों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। श्री पवन कुमार को 4 वर्षों के बाद मिला यह वित्तीय सहारा उनके जीवन में एक बड़ी राहत लेकर आया। DoPPW के प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ कि उन्हें उनका हक समय रहते मिल सके और वे सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें।