सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: MACP और समयबद्ध पदोन्नति का दोहरा लाभ नहीं मिलेगा

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना (MACP) और समयबद्ध पदोन्नति योजना (Time Bound Promotion Scheme) दोनों का लाभ एक साथ नहीं ले सकते। अदालत ने निर्देश दिया कि MACPS के तहत वित्तीय उन्नयन और समयबद्ध पदोन्नति को एक साथ जोड़कर दिया गया लाभ वापस लिया जाएगा।

वसूली पर निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिटायर कर्मचारियों या एक साल के भीतर रिटायर होने वाले कर्मचारियों से किसी भी प्रकार की बकाया राशि की वसूली नहीं की जाएगी। अन्य मामलों में, वसूली को 2 वर्षों की अवधि में किस्तों के रूप में किया जाएगा।ब्याज की कोई राशि वसूली पर नहीं लगेगी।

MACPS और ACPS में अंतर

ACPS (1999):
12 और 24 वर्षों की नियमित सेवा पर वित्तीय उन्नयन।
उन्नयन अगली पदोन्नति के वेतनमान के आधार पर होता था।
MACPS (2008):
10, 20, और 30 वर्षों की नियमित सेवा पर तीन वित्तीय उन्नयन। उन्नयन अगली पदोन्नति के बजाय वेतन बैंड के अगले ग्रेड वेतन पर आधारित।

मामले के मुख्य बिंदु

MACPS का उद्देश्य: सरकारी कर्मचारियों को बिना पदोन्नति के लंबी अवधि तक एक ही वेतनमान पर काम करने के दौरान वित्तीय स्थिरता प्रदान करना।

विवाद: कुछ कर्मचारियों को समयबद्ध पदोन्नति और MACPS के तहत दोहरा लाभ मिला, जिसे सरकार ने वापस लेने का फैसला किया।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:

MACPS के तहत वित्तीय उन्नयन का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा। वेतन और पेंशन का पुनः निर्धारण 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होगा।

सरकार को निर्देश

पुनः मूल्यांकन: सभी वित्तीय उन्नयन को MACPS के मानदंडों के अनुसार दोबारा निर्धारित किया जाए।

बकाया राशि: केवल उन मामलों में वसूली की जाएगी, जहां दोहरा लाभ दिया गया हो।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के वित्तीय उन्नयन से जुड़े नियमों को स्पष्ट करता है और दोहरे लाभ की संभावना को खत्म करता है। यह फैसला सरकार के वित्तीय अनुशासन और कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने में सहायक होगा।

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