केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, सुप्रीम कोर्ट का आ गया बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ केंद्रीय कानून के तहत FIR दर्ज करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं है। इस निर्णय से राज्यों द्वारा दी गई सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को लेकर उत्पन्न विवादों को समाप्त करने में मदद मिलेगी।

सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को लेकर विवाद

हाल के वर्षों में कई राज्य सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में सीबीआई को जांच करने की दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। इसके चलते जब सीबीआई किसी मामले में एफआईआर दर्ज करती है, तो यह मामला विवाद का कारण बन जाता है और अदालत तक पहुंचता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य में काम करने वाले केंद्रीय कर्मचारी के खिलाफ केंद्रीय कानून के तहत मामला दर्ज करने के लिए सीबीआई को राज्य सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से संबंधित है। दोनों राज्यों के विभाजन के बाद, सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को लेकर सवाल उठे। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने दो मामलों में एफआईआर रद्द कर दी थी, जिसमें आरोप था कि सीबीआई के पास राज्य में कार्रवाई का अधिकार नहीं है।

सीबीआई ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने आंध्र हाई कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि राज्य में काम कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत सीबीआई के अधिकार क्षेत्र पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को केंद्रीय कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए राज्य सरकार की सहमति अनिवार्य नहीं है।
कोर्ट ने अपने ही दो पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि राज्यों द्वारा दी गई सहमति वापस लेने से सीबीआई के अधिकार क्षेत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

बंगाल सरकार का मामला:

बंगाल सरकार ने भी एक मूल वाद दायर कर यह सवाल उठाया है कि सहमति वापस लेने के बाद सीबीआई को राज्य में मामला दर्ज करने का अधिकार नहीं है। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

विवादित मामले:

मौजूदा मामले में अभियुक्तों पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया गया था। पहला अभियुक्त केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में अधीक्षक के रूप में कार्यरत था।दूसरा अभियुक्त रेलवे में एकाउंट्स असिस्टेंट था। दोनों पर रिश्वत लेने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।

फैसले का प्रभाव

यह फैसला केंद्रीय कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में सीबीआई की जांच प्रक्रिया को सुगम बनाएगा। राज्यों द्वारा दी गई सहमति वापस लेने के बावजूद सीबीआई को अपने अधिकार क्षेत्र में मामले दर्ज करने और जांच करने की शक्ति मिलेगी। इससे केंद्र और राज्यों के बीच टकराव की स्थिति में कमी आएगी।

निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल केंद्रीय कर्मचारियों की जांच प्रक्रिया को स्पष्ट करता है, बल्कि सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को लेकर उठने वाले कानूनी विवादों का समाधान भी प्रदान करता है। अब सीबीआई राज्य की सहमति के बिना भी केंद्रीय कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज कर सकती है, जिससे भ्रष्टाचार और अन्य मामलों में जांच की प्रक्रिया तेज होगी।

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