राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS), 1 जनवरी 2004 से सशस्त्र बलों के कर्मियों को छोड़कर सभी नए केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दी गई थी। इस दौरान, सेवा के दौरान किसी कर्मचारी की मृत्यु या अपंगता की स्थिति में लाभों के संदर्भ में कठिनाइयाँ देखी गईं। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस का कार्यान्वयन) नियम, 2021 लागू किए गए हैं, जो लाभों के प्रावधानों को स्पष्ट करते हैं। इस लेख में इन दिशा-निर्देशों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई है।
एनपीएस और इसके तहत मिलने वाले लाभ
एनपीएस को 22 दिसंबर 2003 को अधिसूचित किया गया और 1 जनवरी 2004 से इसे नए केंद्र सरकार के कर्मचारियों पर लागू कर दिया गया। उन कर्मचारियों के लिए, जो 1 जनवरी 2004 के बाद एनपीएस के तहत शामिल हुए और जिनकी मृत्यु या अक्षम होने के कारण सेवा समाप्त हो गई, उन्हें अस्थायी रूप से सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 या सीसीएस (असाधारण पेंशन) नियम, 1939 के तहत लाभ प्रदान किए गए थे।
यह लाभ अस्थायी आधार पर प्रदान किए गए थे, जिन्हें अंतिम भुगतान में समायोजित किया गया जब तक कि नए नियम अधिसूचित नहीं किए गए।
2021 के नियम और अंशदान का समायोजन
पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) अधिनियम, 2015 और केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस का कार्यान्वयन) नियम, 2021 के अनुसार:
यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु होती है या उसे अक्षम होने की स्थिति में सेवा छोड़नी पड़ती है, तो केवल सरकारी योगदान और उस पर अर्जित ब्याज ही सरकारी खाते में वापस जमा किए जाएंगे।
कर्मचारी का अंशदान और उस पर अर्जित ब्याज नामांकित व्यक्ति या कानूनी उत्तराधिकारी को पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) दर पर ब्याज के साथ वापस किया जाएगा, जो कि मृत्यु या अक्षम होने की तिथि से भुगतान तिथि तक की गणना पर आधारित होगा।
प्रभावी तिथि और रिफंड प्रक्रिया
यह दिशा-निर्देश 1 जनवरी 2004 से लागू किए गए हैं, ताकि इस तिथि के बाद नियुक्त सभी कर्मचारियों पर यह नियम लागू हो सके। यदि एनपीएस का कॉर्पस पहले से सरकारी खाते में स्थानांतरित नहीं किया गया था, तो अब संबंधित सरकारी अंशदान और उस पर अर्जित ब्याज को नियमों के अनुसार रिफंड किया जाएगा, जिसमें उपयुक्त ब्याज भी जोड़ा जाएगा।
मंत्रालयों और विभागों के लिए मार्गदर्शन
सभी मंत्रालयों और विभागों को इन दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने और संबंधित प्राधिकरणों जैसे भुगतान और लेखा अधिकारियों को सूचित करने का निर्देश दिया गया है।
रिफंड और अंशदान के हस्तांतरण के लिए आवश्यक लेखा प्रक्रियाएं संलग्नक-A में प्रदान की गई हैं, जो नियंत्रक और महालेखा परीक्षक तथा नियंत्रक सामान्य लेखा द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार तैयार की गई हैं।
परामर्श और अधिकार क्षेत्र
ये दिशा-निर्देश व्यय विभाग के परामर्श से तैयार किए गए हैं और भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा विभाग सहित सभी विभागों पर लागू होते हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148(5) के अनुसार हैं।
निष्कर्ष
सभी विभागों को इन दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि प्रभावित कर्मचारियों और उनके परिवारों को समय पर लाभ मिल सकें। यह प्रावधान समय पर लाभ प्रदान करने और सरकारी कर्मचारियों के अंशदान की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में सहायक है।
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