सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी भी सरकारी सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) अनिवार्य नहीं है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR से पहले जांच की कोई कानूनी बाध्यता नहीं है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा:
- यदि किसी सूचना से संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) का खुलासा होता है, तो FIR से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं होती।
- हालांकि, कुछ मामलों में जांच वांछनीय हो सकती है, लेकिन यह आरोपी का कानूनी अधिकार नहीं है।
- प्रारंभिक जांच का उद्देश्य सूचना की सत्यता की जांच करना नहीं, बल्कि यह तय करना है कि मामला संज्ञेय अपराध में आता है या नहीं।
- अनावश्यक उत्पीड़न रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को दबाया न जाए, यह निर्णय मामले की परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।
किस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
यह फैसला कर्नाटक सरकार की अपील पर आया, जिसमें एक लोक सेवक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज FIR को कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।
- कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(बी), धारा 12 और धारा 13(2) के तहत FIR दर्ज की थी।
- हाईकोर्ट ने FIR को रद्द कर दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
- आरोपी अधिकारी ने FIR से पहले जांच न होने का आधार बनाकर इसे चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि FIR दर्ज करने से पहले जांच अनिवार्य नहीं है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका
अब तक, कई सरकारी कर्मचारी FIR से पहले जांच की मांग कर भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई को टालते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ऐसा बहाना नहीं चलेगा। भ्रष्टाचार के मामलों में अब सीधे FIR दर्ज हो सकेगी, जिससे आरोपी लोक सेवकों के खिलाफ तेजी से जांच और कानूनी कार्रवाई संभव होगी।
क्या बदल जाएगा इस फैसले से?
✅ भ्रष्टाचार के मामलों में FIR दर्ज करने की प्रक्रिया तेज होगी।
✅ आरोपी अधिकारी अब FIR से पहले जांच की शर्त नहीं रख सकेंगे।
✅ सरकारी भ्रष्टाचार पर लगाम कसने में मदद मिलेगी।
✅ भ्रष्टाचार के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया सुचारू होगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम है। अब सरकारी कर्मचारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में तुरंत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा और FIR दर्ज कराने के लिए प्रारंभिक जांच की शर्त नहीं होगी। यह फैसला सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा।