केंद्र सरकार ने देश के बुजुर्गों (Senior Citizen) और पेंशनधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब किसी भी समस्या के लिए सिर्फ एक टोल-फ्री नंबर पर कॉल करके समाधान पाया जा सकता है। इस सुविधा का उद्देश्य सीनियर सिटीजन की सुरक्षा और सहायता सुनिश्चित करना है। आइए जानते हैं इस हेल्पलाइन की विशेषताएं और इसका महत्व।
केंद्र सरकार ने सीनियर सिटीजन को दिया विशेष तोहफा
सरकार ने अपने आधिकारिक ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी कि यदि किसी बुजुर्ग को पेंशन से जुड़ी समस्या, चिकित्सा सहायता, घर में उत्पीड़न या किसी कानूनी समस्या का सामना करना पड़ रहा हो, तो वह अब टोल-फ्री ‘एल्डर लाइन’ नंबर पर कॉल कर सकते हैं। यहां पर हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी ताकि उनकी समस्याएं दूर की जा सकें।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए देश की पहली हेल्पलाइन
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि बुजुर्ग समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिन्हें भावनात्मक और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत होती है। इस हेल्पलाइन का उद्देश्य न केवल उन्हें सुरक्षित महसूस कराना है, बल्कि उनकी चिंताओं को भी दूर करना है। अब बुजुर्ग किसी भी प्रकार की समस्या के लिए इस नंबर पर निशुल्क कॉल कर सकते हैं, और उनकी शिकायतों का समाधान किया जाएगा।
क्यों जारी किया गया यह टोल-फ्री नंबर?
भारत सरकार ने देशभर के वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहली बार एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14567 जारी किया है, जिसे ‘एल्डर लाइन’ नाम दिया गया है। इस हेल्पलाइन के जरिए बुजुर्ग अब पेंशन संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, कानूनी सहायता ले सकते हैं, और अगर घर में किसी प्रकार की दुर्व्यवहार किया जा रहा हो, तो मदद भी प्राप्त कर सकते हैं। यह नंबर बेसहारा और कमजोर बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत का साधन बनेगा।
हर समस्या का होगा समाधान
इस हेल्पलाइन के माध्यम से सरकार का लक्ष्य बुजुर्गों की हर छोटी-बड़ी समस्या को हल करना है। चाहे वह पेंशन से जुड़ी हो, कानूनी समस्या हो, या फिर घर में उत्पीड़न हो, एक कॉल के जरिए सभी समस्याओं का निवारण किया जा सकेगा। इस हेल्पलाइन की शुरुआत टाटा ट्रस्ट द्वारा की गई थी, और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा रहा है।
2050 तक 20 फीसदी होगी बुजुर्गों की आबादी
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक भारत की आबादी का 20% हिस्सा बुजुर्गों का होगा। इस आयु वर्ग में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए, इस हेल्पलाइन के माध्यम से उनकी मदद और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
बुजुर्गों की सामाजिक सुरक्षा: राष्ट्र का प्रमुख कर्तव्य
सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में यह स्पष्ट किया है कि बुजुर्गों को भावनात्मक और मानसिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है। आज के एकल परिवारों की व्यवस्था में बच्चों द्वारा माता-पिता की देखभाल में कमी देखी जा रही है। इसलिए, सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह बुजुर्गों की देखभाल सुनिश्चित करे और उन्हें शोषण से बचाए। हर राष्ट्र का कर्तव्य है कि वह अपने वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करे।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया यह हेल्पलाइन नंबर बुजुर्गों और पेंशनधारकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल उनकी समस्याओं का समाधान करेगा, बल्कि उन्हें सामाजिक और कानूनी सुरक्षा भी प्रदान करेगा।
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