रेलवे बोर्ड ने 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को Notional Increment (जो 1 जुलाई या 1 जनवरी को देय होती है) से संबंधित पेंशन लाभों को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में काल्पनिक वेतनवृद्धि का लाभ प्रदान किया जाएगा और किन मामलों में इसे लागू नहीं किया जा सकता है।
संदर्भित पत्र:
- PC-VI/2023/Misc./03-(Part) दिनांक 09.02.2024
- PC-VI/2023/Misc./03-Part(2) दिनांक 20.05.2024
रेलवे ने जारी किए दिशा-निर्देश
अवमानना याचिका के मामलों में निर्देश:
यदि किसी कर्मचारी ने अदालत में अवमानना याचिका दायर की है और वह अंतिम वार्षिक वेतनवृद्धि की तिथि से सेवानिवृत्ति की तिथि तक 12 माह की सेवा पूर्ण कर चुका है, तो उसे काल्पनिक वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाएगा।
ऐसे मामलों में, बोर्ड कार्यालय को संदर्भित किए बिना ही अदालत के आदेश को लागू किया जा सकता है, लेकिन यह केवल उन मामलों पर लागू होता है जहां याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका दायर की हो।
अन्य मामलों के लिए निर्देश:
जिन मामलों में अवमानना याचिका दायर नहीं की गई है, उन्हें बोर्ड के कार्यालय को अनिवार्य रूप से संदर्भित करना आवश्यक है। DOP&T (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।
DOPT ने सुप्रीम कोर्ट में डाली है याचिका
DOP&T ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर की है, जिसमें 11.04.2023 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई है। 11.04.2023 के आदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट ने 1 इन्क्रिमेंट देने का आदेश जारी किया था। पर DOPT ने इसके खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की है, जिसका नतीजा अबगी तक नही आया है। यह आदेश सिविल अपील संख्या 2471/2023 से संबंधित है।
रेलवे ने जारी किए सभी जोनल और उत्पादन इकाइयों को निर्देश:
नए मामलों के लिए आवेदन:
जिन नए मामलों में अदालत के आदेश दिए गए हैं, वहां अदालती आदेशों को लागू करने के विरुद्ध एक अतिरिक्त आवेदन (Misc. Application/Affidavit) दायर करें।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा DOP&T की समीक्षा याचिका और हस्तक्षेप आवेदन पर अंतिम निर्णय आने तक सभी अदालती आदेशों के क्रियान्वयन पर अंतरिम स्थगन की मांग करें।
अंतिम निर्णय तक लंबित रखें:
इन मामलों में अंतिम निर्णय तब तक लंबित रखा जाए जब तक कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उपरोक्त मामलों में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।