केंद्र सरकार साल में चार बार GPF पर ब्याज दरों की घोषणा करती है। हर 3 महीने पर इसकी घोषणा की जाती है। जनवरी 2025 से मार्च 2025 तिमाही के लिए सामान्य भविष्य निधि (GPF) पर ब्याज दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की है। इस तिमाही के लिए भी ब्याज दर 7.1% ही रहेगी। यह फैसला केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि पिछले छह वर्षों से ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
पिछले साल वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में अक्टूबर से दिसंबर 2024 तिमाही के लिए ब्याज दर 7.1% रखी गई थी और अब नए साल में भी यह दर बरकरार रहेगी। कर्मचारियों को उम्मीद थी कि नए वर्ष में सरकार ब्याज दरों में वृद्धि करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कोरोना काल में भी नहीं बढ़ी ब्याज दर
कोरोना महामारी के दौरान भी जीपीएफ पर ब्याज दर 7.1% ही बनी रही। वर्ष 2021-22 में जब देश में कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप था, उस समय भी सरकार ने ब्याज दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी। इसके अलावा, 18 महीने तक महंगाई भत्ते (DA) पर रोक लगी होने के बावजूद कर्मियों को जीपीएफ में बढ़ी हुई ब्याज दर का लाभ नहीं मिला। पिछले 6 साल से GPF पर ब्याज दर 7.1% है।
किन निधियों पर लागू होती हैं ये दरें?
ये ब्याज दरें निम्नलिखित निधियों पर लागू होती हैं:
सामान्य भविष्य निधि (केंद्रीय सेवाएं)
अंशदायी भविष्य निधि (भारत)
अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि
राज्य रेलवे भविष्य निधि (रक्षा सेवाएं)
भारतीय आयुद्ध विभाग भविष्य निधि
भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि
रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि
सशस्त्र सेना कार्मिक भविष्य निधि
GPF में जमा राशि पर बैंक की तुलना में अधिक ब्याज मिलता है, जिसके चलते कर्मचारी अपनी बचत के लिए इसे प्राथमिकता देते हैं।
GPF से धन निकासी के नियम
GPF में योगदान करने वाले कर्मचारी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार 90% तक की राशि निकाल सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ नियम और शर्तें लागू होती हैं।
GPF से धन निकासी के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
बच्चों की शिक्षा और शादी
घर खरीदने या बनाने के लिए
पुश्तैनी मकान की मरम्मत के लिए
होम लोन चुकाने के लिए
वार्षिक योगदान सीमा
तीन वर्ष पूर्व केंद्र सरकार ने GPF में वार्षिक योगदान की सीमा 5 लाख रुपये तय की थी। इसके अनुसार, एक वित्तीय वर्ष में जीपीएफ खाते में जमा की गई कुल राशि 5 लाख रुपये से अधिक नहीं हो सकती। यह प्रावधान उच्च आय वाले कर्मचारियों के लिए एक बड़ा बदलाव था, क्योंकि वे अपनी बचत के एक बड़े हिस्से को जीपीएफ में निवेश करते थे।
कर्मचारियों की उम्मीदें टूटीं
कर्मचारियों को उम्मीद थी कि नए वर्ष में ब्याज दरों में बदलाव होगा, जिससे उन्हें अधिक लाभ मिल सकेगा। पिछले कई वर्षों से स्थिर ब्याज दर के कारण कर्मचारी नाराज हैं। इस फैसले से सरकार और कर्मचारियों के बीच एक बार फिर से असंतोष बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
सरकार का यह निर्णय कर्मचारियों के लिए निराशाजनक है। ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद लगाए बैठे कर्मियों को अब अपने वित्तीय लक्ष्यों की फिर से योजना बनानी होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार आगामी तिमाहियों में इस पर क्या रुख अपनाती है।