खुशखबरी, लिव इनकैशमेंट ( Leave Encashment) पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कर्मचारियो को शानदार तोहफा

गुजरात हाईकोर्ट ने अर्जित अवकाश नकदीकरण (Earned Leave Encashment) से वंचित करने को कर्मचारी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया है। अहमदाबाद नगर निगम (AMC) द्वारा श्रम न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।

कोर्ट की टिप्पणी: अर्जित अवकाश नगदीकरण (Leave Encashment) संवैधानिक अधिकार


न्यायमूर्ति एम.के. ठक्कर की खंडपीठ ने कहा कि अर्जित अवकाश नकदीकरण एक कर्मचारी का वैधानिक अधिकार है, जिसे निगम नकार नहीं सकता।

संपत्ति के अधिकार के तहत:

कोर्ट ने कहा कि अर्जित अवकाश नकदीकरण वेतन के समान है और इसे एक संपत्ति माना जाएगा। संविधान के अनुच्छेद 300A के तहत किसी वैध वैधानिक प्रावधान के बिना किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी को अर्जित छुट्टियों का नकदीकरण न देना संविधान का उल्लंघन है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला सद्गुणभाई सोलंकी नामक कर्मचारी से जुड़ा है, जिन्होंने 1975 में अहमदाबाद नगर निगम के तकनीकी विभाग में सेवा शुरू की थी।

डिमोशन और इस्तीफा:
2013 में विभागीय परीक्षा में असफल रहने के कारण सोलंकी को कनिष्ठ लिपिक के पद से सहायक पद पर डिमोशन कर दिया गया। मार्च 2013 में उन्होंने इस्तीफा दिया, जिसे स्वीकार करने में सात महीने की देरी हुई। 30 अप्रैल 2014 को सोलंकी सेवानिवृत्त हुए।

श्रम न्यायालय का आदेश

2018 में श्रम न्यायालय ने अहमदाबाद नगर निगम को आदेश दिया कि वह सोलंकी को ₹1,63,620 की अवकाश नकदीकरण राशि और ₹1,000 का जुर्माना अदा करे। AMC ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे अब उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।

अदालत का अंतिम निर्णय

हाईकोर्ट ने श्रम न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा:
➡️ अर्जित अवकाश नकदीकरण कर्मचारी का संवैधानिक एवं वैधानिक अधिकार है।
➡️ निगम को इस आदेश का पालन करना होगा और सोलंकी को उनकी पूरी राशि देनी होगी।
➡️ संस्थान अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।

कर्मचारियों के लिए इस फैसले का महत्व

यह निर्णय न केवल सद्गुणभाई सोलंकी के लिए बल्कि लाखों सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मिसाल है। यदि किसी कर्मचारी ने अपनी छुट्टियां अर्जित की हैं, तो उनके नकदीकरण का अधिकार कर्मचारी के पास सुरक्षित रहेगा।

कर्मचारी अधिकारों की रक्षा:

यह फैसला संस्थानों को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है और कर्मचारियों के अधिकारों को सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष

गुजरात हाईकोर्ट का यह फैसला कर्मचारियों के हितों की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह संस्थानों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे कर्मचारियों के अधिकारों का सम्मान करें। अर्जित अवकाश नकदीकरण पर यह निर्णय कर्मचारियों के लिए राहत देने वाला है और भविष्य में अन्य मामलों के लिए एक मजबूत मिसाल पेश करता है।

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