हिमाचल राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया है जिसमे कहा है कि नियमित सेवा से पहले की गई दैनिक वेतन सेवा को जोड़कर पेंशन का लाभ दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने इसका आदेश जारी कर दिया है तो चलिए खबर को बारीकी से जान लेते है।
पृष्ठभूमि
सुंदर सिंह मामला (Civil Appeal No. 6309/2017):
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 08.03.2018 को आदेश दिया था कि हिमाचल प्रदेश में दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत और बाद में नियमित किए गए श्रेणी-IV कर्मचारी (जैसे चपरासी, चौकीदार, माली आदि) यदि 10 वर्षों की कुल सेवा पूरी करते हैं, तो वे पेंशन के पात्र होंगे।
गणना का तरीका:
5 वर्षों की दैनिक वेतनभोगी सेवा = 1 वर्ष की नियमित सेवा।
बालो देवी मामला (Civil Appeal No. 4792/2022):
18.07.2022 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सुंदर सिंह मामले में दिए गए निर्णय को और स्पष्ट करते हुए कहा:
– नियमित सेवा को प्राथमिकता दी जाएगी।
– दैनिक वेतनभोगी सेवा को नियमित सेवा में जोड़ा जाएगा।
– यदि दोनों सेवाओं का योग 8-10 वर्षों के बीच है, तो इसे 10 वर्षों की न्यूनतम सेवा माना जाएगा।
सरकार ने दिया निर्देश
1. पेंशन गणना के लिए:
दैनिक वेतनभोगी सेवा को ही केवल नियमित सेवा के साथ जोड़ा जाएगा। वर्क-चार्ज सेवा को जोड़ने का प्रावधान नहीं है।
2. लंबित मामलों की सूची:
सभी विभागों को निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे मामलों की सूची तैयार करें, जहां पेंशन का दावा बालो देवी मामले के निर्णय के आधार पर किया गया है। यह सूची शिक्षा विभाग के सचिव को दिनांक 30.11.2024 तक अनिवार्य रूप से भेजी जाए। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि माननीय महाधिवक्ता को सभी जानकारी समय पर उपलब्ध कराई जाए।
महत्वपूर्ण जानकारी:
यह निर्देश उन कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है जो दैनिक वेतनभोगी सेवा के साथ नियमित सेवा जोड़कर पेंशन के पात्र बन सकते हैं।
निष्कर्ष
यह आदेश न्यायालयीन फैसलों के अनुपालन और कर्मचारियों को उनके पेंशन अधिकार सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे समय पर जानकारी संकलित कर संबंधित अधिकारियों को भेजें।