कोर्ट में पेंशनभोगियों (Pensionersकी ओर से एक याचिका दायर की गई थी जिन्होंने 1 सितंबर, 2014 से पहले सेवा से सेवानिवृत्ति ली है और वे सुप्रीम कोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले, Employees Provident Fund Organisation बनाम Sunil Kumar B. और अन्य (2022) में दिए गए निर्देशों के अनुसार लाभ पाने के पात्र हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें अब तक उनका उचित पेंशन लाभ नहीं मिला है, जिसके चलते उन्होंने यह याचिका दाखिल की है।
कर्मचारी भविष्य निधि और पेंशन योजना:
याचिकाकर्ता वे कर्मचारी हैं जो चौथे उत्तरदाता के तहत कार्यरत थे और वे कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952, कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 और कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के तहत कवर किए जाते हैं। ये सभी अधिनियम और योजनाएं कर्मचारियों के कल्याण के लिए बनाई गई हैं, ताकि वे सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय रूप से सुरक्षित रहें। याचिकाकर्ताओं का यह तर्क है कि इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है और उन्हें न्याय मिलना चाहिए।
याचिका का मुख्य बिंदु:
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से अनुरोध किया कि उत्तरदाता क्रमांक 2 और 3 को आदेश दिया जाए कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार उनके द्वारा जमा किए गए संयुक्त विकल्प फॉर्म की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करें। उन्होंने यह भी दावा किया है कि इस प्रक्रिया में देरी के कारण उन्हें उनके पेंशन लाभ से वंचित रखा गया है, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
न्यायालय का निर्णय:
केरल उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए उत्तरदाता क्रमांक 2 और 3 को यह निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए संयुक्त विकल्प प्रपत्रों की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार पांच महीने के भीतर पूरा करें। यह निर्णय सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जो लंबे समय से अपने पेंशन लाभों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
फैसले का प्रभाव:
यह निर्णय उन सभी पेंशनरों के लिए एक बड़ी जीत साबित हुआ है जो कई वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के इस फैसले से अब यह सुनिश्चित हो गया है कि कर्मचारियों को समय पर उनके पेंशन लाभ मिलेंगे और उन्हें आर्थिक रूप से सुरक्षित भविष्य प्रदान किया जाएगा।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट और केरल उच्च न्यायालय के इस फैसले से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनके न्यायसंगत पेंशन लाभ मिलने की उम्मीद जगी है। यह फैसला न केवल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि भविष्य में भी कर्मचारियों के लिए एक मिसाल बनेगा। अब यह देखना बाकी है कि उत्तरदाता कितनी तेजी से इस आदेश का पालन करते हैं और कर्मचारियों को उनके अधिकार मिलते हैं।