एफसीआई (फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) के EPS-95 पेंशनभोगी विशेष रूप से वे जो 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए हैं, अब हायर पेंशन प्राप्त करने की अपनी उम्मीदें खोते जा रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें एफसीआई प्रबंधन की निष्क्रियता और ईपीएफओ (EPFO) द्वारा की गई स्पष्ट अस्वीकृति प्रमुख हैं।
EPS-95 हायर पेंशन को EPFO द्वारा अस्वीकृति
एफसीआई प्रबंधन ने ईपीएफओ को उच्च पेंशन के लिए पात्रता पर आपत्ति को स्पष्ट करने के लिए कई बार प्रयास किए। लेकिन इन सभी प्रयासों को ईपीएफओ ने खारिज कर दिया है।
अस्वीकृति आदेश:
ईपीएफओ ने देशभर के 2014 से पहले सेवानिवृत्त एफसीआई कर्मचारियों को अस्वीकृति आदेश भेजना शुरू कर दिया है। इन आदेशों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि एफसीआई ने क्या तर्क दिया और क्यों ईपीएफओ ने इसे अस्वीकार कर दिया। यह स्पष्ट करता है कि ईपीएफओ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अपने तरीके से लागू कर रहा है।
एफसीआई प्रबंधन और ट्रेड यूनियनों की निष्क्रियता
एफसीआई प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में न्याय के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
ट्रेड यूनियनों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों की एसोसिएशनों की भूमिका:
न ही किसी ट्रेड यूनियन और न ही किसी एसोसिएशन ने एफसीआई पर ईपीएफओ के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए दबाव डाला है। यह स्थिति सेवानिवृत्त कर्मचारियों को निराश और असहाय छोड़ रही है।
न्याय के लिए लंबा इंतजार
कुछ एफसीआई सेवानिवृत्त कर्मचारियों की एसोसिएशनों ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। लेकिन ये याचिकाएं तारीखों के खेल में उलझी हुई हैं और अंतिम निर्णय आने में कई साल लग सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले और उनकी विफलता
सुप्रीम कोर्ट ने 04/10/2016 और 04/11/2022 को उच्च पेंशन के लिए ऐतिहासिक फैसले सुनाए थे। बावजूद इसके, इन फैसलों का फायदा एफसीआई के 2014 से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को नहीं मिल सका।
निराशा और उम्मीद का अंत
अधिकांश एफसीआई सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने उच्च पेंशन पाने की उम्मीद छोड़ दी है। अब यह स्पष्ट है कि बिना किसी ठोस कदम के, यह मुद्दा जल्द हल नहीं होगा।
निष्कर्ष
एफसीआई के 2014 से पहले के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को न्याय और उच्च पेंशन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। प्रबंधन और संगठनों की निष्क्रियता ने उनकी स्थिति और कठिन बना दी है। जब तक एफसीआई या कोई प्रभावशाली संगठन सुप्रीम कोर्ट में न्याय की गुहार नहीं लगाता, तब तक इन कर्मचारियों के लिए उच्च पेंशन प्राप्त करना एक दूर का सपना बना रहेगा।
“यह आपकी नियति है, इसे स्वीकार करें” – इस प्रकार की भावना अब इन सेवानिवृत्त कर्मचारियों में घर कर चुकी है।