रविवार को कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) के नेशनल एगिटेशन कमिटी (NAC) के सदस्यों ने मंगलुरु में एक सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें उन्होंने ₹7,500 प्रति माह की न्यूनतम पेंशन और महंगाई भत्ता (डीए) की मांग को दोहराया।
सम्मेलन में भागीदारी और नेतृत्व
मैसूरु, मांड्या, चामराजनगर और कोडागु जिलों के पेंशनभोगी सम्मेलन में शामिल हुए। इस सम्मेलन में 1,000 से अधिक सदस्य उपस्थित थे। NAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक राउत ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया और उपस्थित लोगों को संबोधित किया।
अशोक राउत ने कहा
NAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक रावत ने कहा कि जब तक ₹7,500 न्यूनतम पेंशन और डीए लागू नहीं होता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार से उम्मीद
हाल में हुई EPFO और श्रम मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार इस मांग को जल्द स्वीकार कर सकती है।
हचप्पा की चिंता और सुझाव
NAC मैसूरु डिवीजन के उपाध्यक्ष श्री हचप्पा ने बताया कि वर्तमान में अधिकांश पेंशनभोगी मात्र ₹1,175 की पेंशन पर जीने को मजबूर हैं। इससे 78 लाख पेंशनभोगियों का घर परिवार प्रभावित है। पूरे देश में लगभग 78 लाख EPS-95 पेंशनभोगी बेहद कम पेंशन पर निर्भर हैं।
NAC ने कहा कि बढ़ती महंगाई और स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत ने पेंशनभोगियों की समस्याएं और बढ़ा दी हैं। पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद उनके नामांकित व्यक्ति को पेंशन का आधा हिस्सा ही मिलता है। NAC ने इसे पूरा देने की मांग की है।
जागरूकता की कमी
NAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक रावत ने कहा कि कई रिटायर कर्मचारी पेंशन प्रक्रिया की सही जानकारी न होने के कारण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। सम्मेलन में इन प्रक्रियाओं को समझाने पर भी जोर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और हायर पेंशन का विकल्प
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में हायर पेंशन का विकल्प दिया है, लेकिन इसकी प्रक्रिया बेहद जटिल है। हायर पेंशन का चयन करने वाले लोगों को अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कितनी राशि मिलेगी। NAC ने न्यूनतम ₹7,500 पेंशन + डीए की मांग को प्राथमिकता दी है ताकि हर पेंशनभोगी को राहत मिल सके।
निष्कर्ष
EPS-95 पेंशनभोगियों की मांगें उनके जीवनयापन की आवश्यकताओं को देखते हुए पूरी तरह जायज हैं। NAC का यह आंदोलन सरकार से जल्द समाधान की उम्मीद में किया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सरकार को चाहिए कि वह पेंशनभोगियों की समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए उनकी मांगों को जल्द से जल्द पूरा करे।
मेरे पैंशनर भाइयों NAC 07-12-2017 से आंदोलन कर रही है और वर्तमान सरकार की भी यह तीसरी पारी चल रही है। सरकार की पारियां बढ़ती जा रही हैं और हम पैंशनर्स की संख्या घटती जा रही है। कभी कहां पर है? या तो हमारे आंदोलन को सरकार नजरअंदाज कर रही यह समझकर कि हम तो बूढ़े हो चले हैं आज नहीं तो कल निपट ही जायेंगे या जानबूझकर हमारा सामाजिक तिरस्कार सरकार कर रही है।
विदेशों में लाखों करोड़ की सहायता बिन मांगे सरकार देती है और वहां से मिलता क्या है? हम भी तो 70 लाख से ऊपर हैं और इस देश के नागरिक भी, फिर हमारे साथ ऐसा क्यों?
सरकार अपने कर्मचारियों के वेतन व भत्तों में लगातार वृद्धि करती जा रही है और हमारे लिये सिर्फ महंगाई बढ़ रही है। हमारा घरेलू बजट तहस-नहस करके रखा है इस महंगाई ने।
हमने अपने ही वेतन का एक हिस्सा भविष्य निधि में जमा करवाया यह जानकर कि 58 साल बाद जब हम घर बैठेंगे तो सामाजिक सुरक्षा के तौर पर गुजारे योग्य पैंशन मिलेगी जैसा कि सन् 1995 में हमसे कहा था लेकिन मिला क्या? झुनझुना वो न बजने वाला।
दोस्तो पहले UPA सरकार ने और अब सन् 2014 से NDA ने हमको बेवकूफ बना रखा है। किसी से कोई उम्मीद नहीं है।
सरकार स्पष्ट तौर पर मना क्यों नहीं करती आखिर इसमें परेशानी क्या है? क्या सोचकर सन् 2017 से NAC के नेताओं को हर श्रम मंत्री से सिर्फ आश्वासन ही मिला रहा है।
निराशा के अलावा कुछ नहीं मिल रहा है।अब हम नाउम्मीद हो चुके हैं। हम जैसे बुजुर्गों के लिये कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं। सरकारी योजनाओं के लाभ भी हमारे लिये उपलब्ध नहीं क्योंकि हम मध्यम वर्ग की श्रेणी वाले हैं, जिनके लिये आगे कुआं पीछे खायी है।