कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने फील्ड ऑफिसों को पत्र लिखते हुए उच्च वेतन पर पेंशन मामलों को समय पर निपटाने में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की है। इस पत्र में केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (CPFC) रमेश कृष्णमूर्ति ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समयसीमा के बावजूद, अधिकांश फील्ड ऑफिस मामलों को तय समय पर निपटाने में विफल हो रहे हैं।
उच्च वेतन पर पेंशन मामलों में देरी: प्रमुख मुद्दे
EPFO मुख्यालय द्वारा जनवरी 17 को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कई सर्कुलर और निर्देश जारी करने के बावजूद, उच्च वेतन पर पेंशन के आवेदनों के निपटारे में अपेक्षित प्रगति नहीं हो रही है। मुख्यालय ने अब फील्ड ऑफिसों के लिए नई समयसीमाएं तय की हैं:
- जिन कार्यालयों के पास 5,000 से कम आवेदन हैं, उनके लिए अंतिम समयसीमा 25 जनवरी, 2025 तय की गई है।
- अन्य सभी कार्यालयों के लिए समयसीमा 7 फरवरी, 2025 है।
- पेंशन भुगतान आदेश (PPO) के लिए स्पष्ट मामलों को 24 जनवरी, 2025 तक निपटाने का निर्देश दिया गया है।
प्रगति की समीक्षा और मंत्रालय की भूमिका
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने उच्च वेतन पर पेंशन मामलों की स्थिति की नियमित समीक्षा की है।
- पिछले महीने 1 लाख से अधिक लंबित आवेदनों की समीक्षा की गई, और 21,000 डिमांड लेटर्स जारी किए गए।
- श्रम मंत्रालय के अनुसार, मामलों के निपटारे की संख्या में 58,000 की वृद्धि हुई है।
मंत्रालय के कार्यकारी समिति ने सुझाव दिया है कि मामलों में तेजी लाने के लिए नियमित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित की जाए और संयुक्त विकल्पों के सबमिशन में सुधार किया जाए, जिसके लिए अंतिम तारीख 31 जनवरी, 2025 निर्धारित की गई है।
मुख्यालय के निर्देश: प्राथमिकता में बदलाव की जरूरत
EPFO मुख्यालय ने कहा कि देरी का मुख्य कारण इस कार्य को प्राथमिकता न देना है।
- अधिकारियों से कहा गया है कि वे UAN सक्रियकरण और पेंशन मामलों को उच्च प्राथमिकता दें।
- अनावश्यक मुद्दों को बार-बार उठाने से बचने और उन्हें तुरंत हल करने के लिए क्षेत्रीय आयुक्तों और जोनल कमिश्नरों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का निर्देश दिया गया है।
उच्च वेतन पर पेंशन के लिए ‘प्रो-रेटा’ फॉर्मूला
EPFO ने स्पष्ट किया है कि उच्च वेतन पर पेंशन की गणना के लिए प्रो-रेटा विधि का उपयोग किया जाएगा।
- EPS, 1995 के अनुसार, प्रो-रेटा गणना दोनों प्रकार के पेंशनभोगियों (वेतन सीमा के तहत और उच्च वेतन वाले) के साथ समान व्यवहार करती है।
- सुप्रीम कोर्ट ने भी इस गणना को वैध माना है।
गणना का तरीका:
- 1 सितंबर, 2014 से पहले की सेवा: पेंशन योग्य वेतन वह होगा जो या तो
- सेवा छोड़ने से पहले का उच्चतम मासिक वेतन, या
- सेवा छोड़ने से पहले के 60 महीनों का औसत वेतन, जो भी कम हो।
- 1 सितंबर, 2014 के बाद की सेवा: पेंशन योग्य वेतन वह होगा जो या तो
- उक्त तिथि के बाद का उच्चतम मासिक वेतन, या
- सेवा छोड़ने से पहले के 60 महीनों का औसत वेतन, जो भी कम हो।
आगे की राह
- EPFO मुख्यालय ने उच्च वेतन पर पेंशन मामलों को निपटाने के लिए सख्त समयसीमाएं तय की हैं।
- मंत्रालय और EPFO के प्रयासों का उद्देश्य इन मामलों को वित्तीय वर्ष के अंत तक अधिकतम सीमा तक निपटाना है।
इन सुधारों से पेंशनभोगियों को समय पर राहत मिलने की उम्मीद है। EPFO के प्रयास यह सुनिश्चित करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समयसीमा के भीतर सभी लंबित मामलों का निपटारा हो सके।