इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में यह स्पष्ट कर दिया कि कम्युटेशन पेंशन की बहाली 15 साल की अवधि पूरी होने के बाद ही होगी, जैसा कि 1995 के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) कर्मचारी पेंशन नियमों में निर्दिष्ट है। इस फैसले ने उन याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज कर दिया, जो पेंशन बहाली की अवधि को 15 साल से घटाकर 10 साल करने की मांग कर रहे थे।
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
याचिकाकर्ता, जो पंजाब नेशनल बैंक के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं, ने दलील दी कि पेंशन का 1/3 हिस्सा लेने के बाद, बैंक इसे 10-11 सालों में ही वसूल कर लेता है।
➡️याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि 15 साल का समय अनुचित है और इसे घटाकर 10 साल किया जाना चाहिए।
➡️उन्होंने 1995 के पेंशन नियमों की धारा 41(4) और 41(5) को चुनौती दी, जिसमें पेंशन की बहाली की समय सीमा 15 साल तय की गई है।
बैंक की दलीलें
➡️बैंक ने तर्क दिया कि 1995 के नियमों के अनुसार, पेंशन की बहाली की शर्तें स्पष्ट हैं और पेंशनर ने इसे स्वेच्छा से स्वीकार किया है।
➡️बैंक ने यह भी कहा कि पेंशन की बहाली 15 साल की अवधि के बाद ही होगी, जैसा कि नियमों में उल्लेखित है।
हाई कोर्ट का फैसला
➡️अदालत ने पाया कि 1995 के नियमों में पेंशन बहाली की अवधि स्पष्ट रूप से 15 साल बताई गई है।
➡️अदालत ने कहा कि यह नियम वैध और संवैधानिक है।
➡️याचिकाकर्ताओं द्वारा 15 साल की अवधि पर सहमति देने के बाद इसे चुनौती देना अनुचित है।
➡️अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला सरकार की नीति के तहत आता है, जिसमें हस्तक्षेप का अधिकार अदालत को नहीं है।
फैसले का आधार
अदालत ने यह निर्णय “Common Cause बनाम भारत संघ (1987)”, “R. गांधी बनाम भारत संघ (1999)”, और “फोरम ऑफ रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर्स बनाम भारत संघ (2019)” जैसे मामलों के फैसलों के आधार पर लिया।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं की मांग को खारिज करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति के समय पेंशन के नियम स्पष्ट थे और कर्मचारी ने स्वेच्छा से इन्हें स्वीकार किया था।
निष्कर्ष
यह फैसला स्पष्ट करता है कि कम्युटेन पेंशन बहाली की अवधि को कम करना केवल नीतिगत निर्णय के माध्यम से ही संभव है। यह मामला देश के पेंशनरों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि पेंशन के नियमों को स्वीकार करने से पहले उन्हें अच्छी तरह समझना चाहिए। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि पेंशन नियमों में कोई बदलाव सरकार की नीति और संसद की मंजूरी के बिना संभव नहीं है।
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Let all citizens of nation know how much rate of interest is our government had been recovering on commutation for 15 long years . Are they helping the pensioners or extorting heavy interest as penal action against pensioners?
The old scheme of commutation was started in order to help a pensioner after his retirement so that he can utilise the amount taken against commutation value would be benefited for their betterment of their balance family life. It was a good scheme but in view of the amount keeping with the govt. for a 15 years long period is seems to be loss for a pensioner as the deduction against the commutation value is higher and should be changed after considering calculation of recovery from the pensioner at the present rate of interest given by any bank / financial institutions. It is correct to say that the pensioner has given his signature at the time of his retirement for drawing this commutation amount but if you calculate the amount taken from the pensioner for a long 15 years is seems to be think whether it is actually benefitted to the pensioner or otherwise.