CGHS में इलाज की गुणवत्ता पर उठे सवाल, मरीजों ने की बेहतर स्वास्थ्य सेवा की मांग

नई दिल्ली: केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों, पेंशनभोगियों और उनके परिवारों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। लेकिन हाल ही में कई मरीजों और पेंशनधारकों ने CGHS केंद्रों में डॉक्टरों की लापरवाही और इलाज की गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। मरीजों का कहना है कि डॉक्टर दूर से ही पूछ लेते हैं कि क्या तकलीफ है और फिर बिना जांच किए दवा लिख देते हैं।

इस लापरवाही के कारण कई मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ सकती है। मरीजों की शिकायतें सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए एक गंभीर चेतावनी हैं कि CGHS केंद्रों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।

मरीजों की मुख्य शिकायतें

1️⃣ डॉक्टर मरीजों की शारीरिक जांच नहीं करते
🔹 अधिकतर मरीजों ने यह आरोप लगाया है कि CGHS के डॉक्टर दूर से ही पूछताछ करके मरीज को दवा लिख देते हैं।
🔹 कई बार बिना स्टेथोस्कोप का उपयोग किए ही मरीज को बुखार, खांसी, या किसी अन्य बीमारी की दवा दे दी जाती है।
🔹 मरीजों को सिर्फ उनकी बताई गई समस्या के आधार पर दवा देना, बिना सही जांच के, एक गंभीर लापरवाही है।

2️⃣ ब्लड प्रेशर और अन्य जांचों की अनदेखी
🔹 आमतौर पर सरकारी अस्पतालों और प्राइवेट क्लीनिक में डॉक्टर खुद मरीजों का ब्लड प्रेशर (BP) और अन्य जांच करते हैं, लेकिन CGHS केंद्रों में ऐसा नहीं हो रहा।
🔹 कई मरीजों को BP जांचने के लिए कहीं और भेज दिया जाता है, जबकि डॉक्टर को खुद यह काम करना चाहिए।
🔹 हृदय रोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए यह बेहद खतरनाक हो सकता है।

3️⃣ गलत दवा देने की शिकायतें बढ़ीं
🔹 बिना पूरी तरह से जांच किए डॉक्टरों द्वारा दवा लिखने से मरीजों को कई बार गलत दवा मिल जाती है।
🔹 यदि कोई मरीज पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है और डॉक्टर उसे बिना जांच किए सामान्य दवा दे देते हैं, तो इससे मरीज की सेहत बिगड़ सकती है।

4️⃣ मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करवाया जाता है
🔹 मरीजों का कहना है कि CGHS केंद्रों में डॉक्टर समय पर नहीं आते और मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।
🔹 डॉक्टर के पास जाने के बाद भी मरीजों को सिर्फ 2-3 मिनट का समय दिया जाता है और जल्दबाजी में दवा लिखकर भेज दिया जाता है।
🔹 इतना कम समय मरीजों की सही जांच और इलाज के लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।

मरीजों की मांग: CGHS केंद्रों में सुधार कैसे हो?

स्टेथोस्कोप का सही उपयोग:
🔹 डॉक्टरों को हर मरीज की स्टेथोस्कोप से जांच करनी चाहिए, खासतौर पर जब मरीज को बुखार, खांसी या सांस से जुड़ी समस्या हो।

ब्लड प्रेशर और अन्य जांचों की सुविधा:
🔹 डॉक्टरों को खुद मरीजों का BP जांचना चाहिए और जरूरी हो तो शुगर और अन्य जांचों की सलाह देनी चाहिए।
🔹 सभी CGHS केंद्रों में ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जांचने की अनिवार्य सुविधा होनी चाहिए।

मरीजों को पूरा समय दिया जाए:
🔹 डॉक्टरों को जल्दबाजी में दवा लिखकर मरीज को भेजने के बजाय हर मरीज को पर्याप्त समय देना चाहिए ताकि उनकी समस्या को समझा जा सके।

डिजिटल रिकॉर्ड और SMS अपडेट की सुविधा:
🔹 हर मरीज की रिपोर्ट और दवाओं का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में रखा जाए।
🔹 मरीज को SMS या ईमेल के माध्यम से उसकी रिपोर्ट और इलाज से संबंधित अपडेट भेजे जाएं।

नियमित निगरानी और शिकायत निवारण प्रणाली:
🔹 सरकार को CGHS केंद्रों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र टीम बनानी चाहिए, जो मरीजों की शिकायतों को सुने और उनका समाधान करे।
🔹 मरीजों के फीडबैक के आधार पर डॉक्टरों और स्टाफ के काम की समीक्षा की जाए।

CGHS केंद्रों की स्थिति पर सरकार को जल्द कदम उठाने होंगे!

CGHS केंद्रों में इलाज की गुणवत्ता को लेकर बढ़ती शिकायतों को सरकार को गंभीरता से लेना होगा। मरीजों की समस्याओं को अनदेखा करना स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट का संकेत है। सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय को चाहिए कि CGHS केंद्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए तत्काल सख्त कदम उठाए जाएं।

📢 आपका क्या अनुभव रहा है CGHS केंद्रों में? हमें कमेंट में बताएं और अपनी राय साझा करें!

1 thought on “CGHS में इलाज की गुणवत्ता पर उठे सवाल, मरीजों ने की बेहतर स्वास्थ्य सेवा की मांग”

  1. Even when a patient is referred by CGHS doctor for specialist doctor the medicine prescribed by the specialist is modified by the CGHS doctor of much lower quality and even some prescribed medicines are not given showing the cause of un authorisation.
    Indented medicines take 6-7 days time. In the case of serious patient it creates severe problems.

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