8वें वेतन आयोग को लेकर केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में बड़ी खबर आई कि इसका गठन किया जा रहा है और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होंगी। लेकिन सवाल उठता है कि जब केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 8वें वेतन आयोग का कोई आधिकारिक एजेंडा नहीं था, तो इसका ऐलान कैसे हो गया? क्या इसके पीछे दिल्ली विधानसभा चुनाव की रणनीति छिपी हुई है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
कैबिनेट बैठक के एजेंडे में 8वें वेतन आयोग का जिक्र नहीं
केंद्र सरकार की कैबिनेट बैठक में आमतौर पर जो भी बड़े फैसले लिए जाते हैं, उनकी आधिकारिक सूचना प्रेस रिलीज़ के माध्यम से दी जाती है। लेकिन जब 16 जनवरी 2025 को हुई कैबिनेट बैठक के बाद सरकार ने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, तो उसमें 8वें वेतन आयोग का कोई जिक्र नहीं था।
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि आठवां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिससे 50 लाख से अधिक कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी प्रभावित होते हैं। ऐसे में यह संदेह स्वाभाविक है कि बिना कैबिनेट मंजूरी के इसका ऐलान कैसे किया गया?
क्या दिल्ली चुनाव है असली वजह?
दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार पर यह दबाव है कि केंद्रीय कर्मचारियों को खुश करने के लिए कोई बड़ा कदम उठाया जाए। दिल्ली में लाखों सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार रहते हैं, जो चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं।
अगर सरकार इस समय 8वें वेतन आयोग की घोषणा करती है, तो इसका राजनीतिक फायदा निश्चित रूप से उसे मिल सकता है। खासकर जब आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर पहले से ही सरकार पर दबाव बना रहे थे।
क्या चुनावी चाल है 8वां वेतन आयोग?
- जनवरी 2026 से सिफारिशें लागू करने की बात कही जा रही है, लेकिन अभी तक आयोग के गठन का आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है।
- अगर वास्तव में वेतन आयोग गठित होता, तो सरकार द्वारा इसका गजट नोटिफिकेशन जारी किया जाता, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।
- अगर यह केवल चुनावी रणनीति है, तो चुनाव के बाद सरकार इस पर चुप्पी साध सकती है, जैसा कि पहले कई मुद्दों पर हुआ है।
कर्मचारियों के लिए कितना फायदेमंद होगा 8वां वेतन आयोग?
अगर वास्तव में 8वें वेतन आयोग का गठन होता है, तो इससे केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में 25-30% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर 2.15 से 2.86 के बीच हो सकता है, जिससे कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी ₹18,000 से बढ़कर ₹45,000 तक पहुंच सकती है।
हालांकि, जब तक सरकार इस पर आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं करती, तब तक इसे सिर्फ एक चुनावी घोषणा ही माना जाएगा।
क्या कर्मचारी सरकार पर भरोसा करेंगे?
कर्मचारी संगठनों ने 8वें वेतन आयोग की वास्तविकता पर सवाल उठाए हैं। कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि जब तक आयोग की औपचारिक अधिसूचना जारी नहीं होती और इसकी संदर्भ शर्तें (Terms of Reference) तय नहीं होतीं, तब तक सरकार की घोषणा पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है और क्या यह केवल चुनावी लॉलीपॉप था या वाकई में कर्मचारियों के लिए कोई ठोस फैसला लिया गया है।