अदालत ने एक महीने में बकाया पेंशन चुकाने का आदेश दिया, देरी पर 15% अतिरिक्त ब्याज लगाने की चेतावनी
1965 के भारत-पाक युद्ध के वीर चक्र विजेता कैप्टन रीत एम.पी. सिंह (सेवानिवृत्त) की बकाया पेंशन के भुगतान में 7 साल की देरी पर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
कोर्ट ने आदेश दिया कि केंद्र सरकार को एक महीने के भीतर बकाया पेंशन का भुगतान करना होगा, अन्यथा 15% अतिरिक्त ब्याज भी देना होगा।
क्या है पूरा मामला?
- कैप्टन रीत एम.पी. सिंह 1965 के युद्ध में गंभीर रूप से घायल हुए थे और उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
- उन्हें अक्षम्य पेंशन (Disability Pension) दी गई, लेकिन यह 100% की जगह सिर्फ 80% निर्धारित की गई।
- 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूनियन ऑफ इंडिया बनाम राम अवतार’ केस में फैसला दिया था कि इस तरह के मामलों में 100% पेंशन दी जानी चाहिए।
- इस फैसले के आधार पर, कैप्टन रीत एम.पी. सिंह ने अपनी पेंशन बढ़ाने के लिए याचिका दायर की।
- 23 अगस्त 2018 को सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) ने आदेश दिया कि उनकी पेंशन 100% की जाए।
- हालांकि, केंद्र सरकार ने 2018 के आदेश को लागू नहीं किया, जिससे कैप्टन सिंह को न्याय के लिए दोबारा हाई कोर्ट जाना पड़ा।
हाई कोर्ट का सख्त रुख
- पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता की पीठ ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।
- कोर्ट ने कहा कि 7 साल बाद भी आदेश का पालन न होना गंभीर लापरवाही है।
- कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि एक महीने के भीतर बकाया राशि नहीं दी गई, तो 15% अतिरिक्त ब्याज लगाया जाएगा।
- यह ब्याज संबंधित अधिकारियों से वसूला जाएगा, जिन्होंने आदेश का पालन नहीं किया।
केंद्र सरकार ने क्या किया?
- केंद्र सरकार ने AFT के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के 2023 के परशुराम दास मामले का हवाला देते हुए कहा कि AFT के फैसलों को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
- लेकिन, कोर्ट ने इसे आधारहीन माना और सरकार को आदेश लागू करने का निर्देश दिया।
क्या होगा इस फैसले का असर?
✅ पूर्व सैनिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।
✅ अक्षम्य पेंशन मामलों में तेजी से निपटारा होगा।
✅ सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही बढ़ेगी।
✅ पूर्व सैनिकों को कानूनी लड़ाई में सालों इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
कैप्टन रीत एम.पी. सिंह जैसे वीर सैनिकों के साथ हो रही अन्यायपूर्ण देरी पर हाई कोर्ट का यह कड़ा रुख एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। पूर्व सैनिकों के हक को लेकर सरकार को अधिक जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है।
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