पटना हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पेंशनभोगी से अतिरिक्त भुगतान की वसूली (Recovery of Excess Payment) के आदेश को रद्द करते हुए यह स्पष्ट किया कि रिटायरमेंट से पांच साल से अधिक पहले की अवधि में हुए अतिरिक्त भुगतान की वसूली करना गैर-कानूनी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि क्लास-III और क्लास-IV कर्मचारियों से सेवानिवृत्ति के बाद इस प्रकार की वसूली करना अनुचित है।
मामले का पृष्ठभूमि विवरण (Recovery of Excess Payment)
28 दिसंबर 1990 को याचिकाकर्ता श्री कमलेश प्रसाद को नालंदा में जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में क्लर्क के रूप में compassionate grounds पर नियुक्त किया गया था।उन्होंने 30 जून 2023 को सेवानिवृत्ति प्राप्त की। उन्हें 2002, 2014 और 2021 में क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय MACP का लाभ दिया गया।
सेवानिवृत्ति के बाद, एकाउंटेंट जनरल (A&E), बिहार द्वारा उनके पेंशन दस्तावेजों की जांच की गई, जिसमें गलत वेतन निर्धारण के कारण अतिरिक्त भुगतान की बात सामने आई।
इसके बाद, नालंदा के ट्रेजरी अधिकारी को ₹2,17,738 की वसूली का आदेश दिया गया।
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता के वकील प्रभाकर सहाय ने कोर्ट में दलील दी कि:
➡️गलत वेतन निर्धारण विभागीय त्रुटि के कारण हुआ था, जिसमें याचिकाकर्ता की कोई भूमिका नहीं थी।
➡️याचिकाकर्ता से धोखाधड़ी या गलत जानकारी देने का कोई आरोप नहीं लगाया गया है।
➡️रफीक मसीह बनाम पंजाब राज्य (2015 AIR SCW 501) मामले का हवाला देते हुए वकील ने तर्क दिया कि इस प्रकार की वसूली अनुचित और अन्यायपूर्ण होगी, खासकर जब याचिकाकर्ता को सुने बिना आदेश जारी किया गया हो।
सरकार के वकील की दलील
प्रतिवादी पक्ष के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को जो अतिरिक्त राशि मिली थी, वह अधिकारहीन थी, इसलिए इसकी वसूली जरूरी थी।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने रिकॉर्ड की समीक्षा करते हुए पाया कि याचिकाकर्ता ने क्लास-III के पद पर कार्य किया था और अतिरिक्त भुगतान 01 जुलाई 2007 से हो रहा था। कोर्ट ने माना कि इस अवधि में हुई वसूली अनुचित है, क्योंकि 16 वर्षों के बाद वसूली का आदेश जारी किया गया था।
कोर्ट ने रफीक मसीह मामले के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद वसूली करना, खासकर पांच साल से अधिक पुरानी अवधि का भुगतान वापस लेना, अनुचित है।
मुख्य निष्कर्ष
➡️पांच साल से अधिक पुरानी वसूली अवैध: यदि अतिरिक्त भुगतान की वसूली पांच साल से अधिक पुरानी अवधि के लिए की जा रही है, तो वह अनुचित है।
➡️क्लास-III और क्लास-IV कर्मचारियों से वसूली: इन श्रेणियों के कर्मचारियों से रिटायरमेंट के बाद की गई वसूली गैर-कानूनी है।
➡️धोखाधड़ी या गलत जानकारी का आरोप नहीं: यदि कर्मचारी पर गलत जानकारी देने का आरोप नहीं है, तो वसूली नहीं की जा सकती।
➡️वसूली से पूर्व सुनवाई आवश्यक: बिना सुनवाई के वसूली का आदेश जारी करना नियमों का उल्लंघन है।
कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता से कोई भी राशि वसूली गई हो, तो उसे 60 दिनों के भीतर वापस किया जाए। इसके साथ ही, वसूली के आदेश को रद्द कर दिया गया।
निष्कर्ष
पटना हाईकोर्ट का यह फैसला सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत है। इससे यह स्पष्ट हो गया कि सेवानिवृत्ति के बाद की अवधि में या पांच साल से अधिक पुरानी अवधि का कोई भी भुगतान वापस लेना अनुचित और गैर-कानूनी है। यह फैसला अन्य कर्मचारियों के लिए भी एक मिसाल साबित होगा।