कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) भारत सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए बनाई गई एक सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना है। हाल ही में राज्यसभा में पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर के आधार पर EPS से संबंधित तीन मुख्य मुद्दे सामने आए हैं:
- EPS-95 पेंशनभोगियों की न्यूनतम पेंशन में वृद्धि
- OROP की तर्ज पर EPS-95 पेंशनभोगियों की पेंशन वृद्धि
- पेंशन विवादों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल स्थापित करना
इस लेख में हम इन तीनों बिंदुओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे। सबसे पहले जान लेते है इस योजना के बारे में।
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) क्या है?
EPS-95 एक ‘परिभाषित योगदान-परिभाषित लाभ’ (Defined Contribution-Defined Benefit) योजना है। यह योजना उन कर्मचारियों के लिए है जो संगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं। इसके कोष का निर्माण निम्नलिखित स्रोतों से होता है:
- नियोक्ता (Employer) का योगदान: 8.33% वेतन।
- केंद्र सरकार का योगदान: 1.16% वेतन (अधिकतम वेतन सीमा: ₹15,000 प्रति माह)।
योजना के तहत पेंशन की राशि निम्नलिखित फॉर्मूले पर आधारित होती है:
पेंशन योग्य सेवा X पेंशन योग्य वेतन / 70
इसका अर्थ है कि पेंशन की राशि सेवा अवधि और वेतन के आधार पर तय होती है। 2014 में पहली बार सरकार ने EPS के तहत न्यूनतम पेंशन को ₹1000 प्रति माह तय किया।
न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने की मांग
EPS-95 पेंशनर्स लगातार न्यूनतम पेंशन को ₹1000 से बढ़ाने और इसे महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) से जोड़ने की मांग कर रहे हैं। अभी हाल ही में राज्यसभा में भी माननीय सांसद ने इस मुद्दे को उठाया।
सरकार का रुख:
उच्च स्तरीय निगरानी समिति (HEMC):
सरकार ने EPS-95 का पूरी तरह से मूल्यांकन और समीक्षा करने के लिए HEMC का गठन किया। समिति ने निष्कर्ष दिया कि पेंशन को महंगाई भत्ते से जोड़ना वित्तीय दृष्टिकोण से संभव नहीं है। EPS फंड की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह व्यावहारिक नहीं है।
वन रैंक वन पेंशन’ (OROP) की तरह EPS-95 पेंशनर्स की पेंशन में वृद्धि करना
‘वन रैंक वन पेंशन’ का अर्थ है समान रैंक और सेवा अवधि के कर्मचारियों को समान पेंशन का लाभ। EPS-95 पेंशनर्स ने भी OROP की तरह पेंशन वृद्धि की मांग की है। जिस तरह OROP में हर 5 साल में पेंशन में बढोतरी होती है उसी प्रकार EPS-95 पेंशनर्स की पेंशन भी हर 5 साल पे बढ़नी चाहिए।
सरकार का रुख:
सरकार ने स्पष्ट किया कि:
- EPS पेंशन को रैंक से जोड़ा नहीं गया है।
- EPS-95 पेंशनभोगियों के लिए इस प्रकार की योजना लागू करने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है।
पेंशन विवादों के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल
EPS पेंशनर्स का एक अन्य प्रमुख मुद्दा यह है कि पेंशन विवादों के निपटारे में देरी होती है। इसलिए उन्होंने इसके लिए ट्रिब्यूनल स्थापित करने की मांग की है।
इस पर सरकार का रुख:
पेंशन विवादों के लिए अलग से ट्रिब्यूनल स्थापित करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है। मौजूदा तंत्र के माध्यम से ही पेंशन संबंधी विवादों का समाधान किया जाएगा।
EPS फंड की वर्तमान स्थिति
श्रम मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि EPS फंड का वार्षिक मूल्यांकन किया जाता है। इसके तहत फंड का स्थायित्व (Actuarial Position) सुनिश्चित किया जाता है। पेंशन की राशि को फंड के आधार पर तय किया जाता है। सरकार का मानना है कि फंड की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसी भी नए बदलाव को लागू करना कठिन है।
निष्कर्ष
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है, लेकिन न्यूनतम पेंशन में वृद्धि, OROP की तर्ज पे पेंशन वृद्धि लागू करने, और विवादों के शीघ्र समाधान की मांगें अभी भी लंबित हैं।
सरकार ने अपनी सीमाओं का हवाला देते हुए इन मांगों को खारिज कर दिया है। फिलहाल EPS पेंशनर्स को सरकार से आशा है कि उनकी वित्तीय स्थिरता और जीवन स्तर में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
सांसद, विधायक, मंत्रियों और अन्य जनप्रतिनिधियों को जिसमद से पेंशन दिया जाता है वहीं से ईपीएस 95 पेंशनरों को भी 7500+डीए पेंशन दिया जाय।