दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि रक्षा सुरक्षा कोर (DSC) के कर्मियों पर भी सेना के पेंशन नियम लागू होंगे। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के मामले में सेवा की कमी को माफ करते हुए उन्हें डीएससी पेंशन के लाभ देने का आदेश दिया। यह निर्णय न्यायमूर्ति रेखा पल्लि और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की दो सदस्यीय पीठ द्वारा दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता ने 26 जनवरी 1980 से 1 फरवरी 2003 तक भारतीय सेना में 23 वर्षों तक सेवा की थी, जिसके लिए उन्हें सेना से पेंशन मिल रही थी। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने 8 जुलाई 2003 को डीएससी में सेवा शुरू की और 14 साल, 2 महीने और 21 दिनों की सेवा के बाद 30 सितंबर 2017 को सेवानिवृत्त हुए।
“आर्मी पेंशन नियम, 1961” (PRA of 1961) के अनुसार, डीएससी में पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 15 वर्ष है। हालांकि, याचिकाकर्ता की डीएससी में सेवा 280 दिन कम थी, जिसके कारण वे डीएससी पेंशन के लिए पात्र नहीं थे। इस सेवा की कमी को माफ करने के लिए उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) में याचिका दायर की थी।
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण का निर्णय
सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने याचिकाकर्ता की सेवा की कमी को माफ कर दिया और उन्हें डीएससी पेंशन के लिए पात्र ठहराया। न्यायाधिकरण ने कहा कि “पेंशन नियम, 1961” और “पेंशन नियम, 2008” के प्रावधान डीएससी सेवा पर भी लागू होते हैं। इस निर्णय से असहमति जताते हुए, भारत सरकार ने न्यायाधिकरण के निर्णय को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
भारत सरकार का तर्क
भारत सरकार ने तर्क दिया कि “पेंशन नियम, 1961” का पैरा 125 डीएससी सेवा पर लागू नहीं होता है, क्योंकि डीएससी भारतीय सेना से अलग एक इकाई है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को पहले ही सेना सेवा के लिए पेंशन मिल रही है और डीएससी की सेवा को इससे जोड़ा नहीं जा सकता।
याचिकाकर्ता का तर्क
याचिकाकर्ता ने कहा कि “पेंशन नियम, 1961” और “पेंशन नियम, 2008” के प्रावधान डीएससी सेवा पर भी लागू होते हैं, और सेवा की कमी माफी का प्रावधान डीएससी कर्मियों के लिए भी मान्य है।
न्यायालय का निर्णय
न्यायालय ने पाया कि “पेंशन नियम, 1961” और “पेंशन नियम, 2008” के प्रावधान, जब तक वे डीएससी सेवा से असंगत नहीं हैं, डीएससी सेवा पर भी लागू होते हैं। न्यायालय ने कहा कि सेवा की कमी को माफ करने का प्रावधान डीएससी सेवा पर भी लागू होता है।
न्यायालय ने पैरा 125 (PRA of 1961) के प्रावधानों की जांच की, जो 12 महीने तक की सेवा की कमी को माफ करने की अनुमति देता है। याचिकाकर्ता की 280 दिनों की सेवा की कमी इस माफी के अंतर्गत आती है, इसलिए इसे माफ किया गया।
निष्कर्ष
इस निर्णय के साथ, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार की रिट याचिका को खारिज कर दिया और सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के निर्णय को सही ठहराया। यह फैसला डीएससी कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें भी सेना के पेंशन नियमों का लाभ मिलेगा।
मामला: UNION OF INDIA & ORS.v. EX/NK CHINNA VEDIYAPPAN
संदर्भ संख्या: 2024 LiveLaw (Del) 1043
मामला संख्या: W.P.(C) 2986/2024
याचिकाकर्ता के वकील:शेखा, CGSC, राज कुमार मौर्य और कृष्ण चैतन्य, एडवोकेट
प्रतिवादी के वकील:प्रवीण कुमार, एडवोकेट