भारत पेंशनभोगी समाज ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सिनीयर सिटीजन लिए रेल रियायतों को बहाल करने की अपील की है। उनका कहना है कि भारतीय रेलवे द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को टिकटों में दी जाने वाली 53% रियायतें उनके लिए एक महत्वपूर्ण सहायता प्रणाली थीं। इन रियायतों के निलंबन से, हालांकि, रेलवे की आय में वृद्धि हुई है, लेकिन इसका सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव वरिष्ठ नागरिकों पर पड़ा है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायतें क्यों जरूरी हैं?
भारतीय पेंशनभोगी समाज का मानना है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेल रियायतें केवल आर्थिक लाभ नहीं थीं, बल्कि यह उनके द्वारा देश के लिए किए गए योगदान का सम्मान भी था। रियायतें उन बुजुर्गों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता थीं, जो सीमित आय या पेंशन पर निर्भर हैं। इन रियायतों के बिना, उन्हें यात्रा के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है, जो उनके लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ साबित हो रहा है।
रेलवे के आर्थिक संकट को समझते हुए समाधान की अपील
भारत पेंशनभोगी समाज ने यह भी कहा कि वे भारतीय रेलवे द्वारा सामना की जा रही आर्थिक चुनौतियों और वित्तीय संकट को समझते हैं। लेकिन उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि रेलवे को अपनी आय बढ़ाने के लिए अन्य उपायों पर विचार करना चाहिए, बजाय इसके कि वह वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतों को समाप्त कर दे। उचित संसाधन प्रबंधन और दक्षता में सुधार करके रेलवे को वित्तीय संकट से उबरने में मदद मिल सकती है और वरिष्ठ नागरिकों के लिए इन रियायतों को आसानी से बहाल किया जा सकता है।
वरिष्ठ नागरिकों की स्थिति को समझने की अपील
पत्र में आगे कहा गया है कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यात्रा करना एक आवश्यकता है, न कि विलासिता। यह रियायतें उन बुजुर्गों के लिए थीं जो अपने परिवार से मिलने, धार्मिक यात्राओं पर जाने या चिकित्सा उपचार के लिए यात्रा करते हैं। ऐसे में, रियायतों को हटाने से उन्हें अपनी यात्रा की योजना बनाना मुश्किल हो गया है।
रेल रियायतों की बहाली हेतु पुनर्विचार की अपील
भारत पेंशनभोगी समाज ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि वे इस मामले को समझें और रेल रियायतों की बहाली हेतु पुनर्विचार करें। उनका मानना है कि सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए दी जाने वाली ये रियायतें एक प्रकार का “सामाजिक सुरक्षा” थी, जिसे बहाल करना जरूरी है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि सरकार रेलवे के अन्य क्षेत्रों में सुधार और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अपने राजस्व को बढ़ा सकती है, जिससे इन रियायतों को फिर से लागू किया जा सके।
निष्कर्ष
वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेल रियायतों का निलंबन एक ऐसा मुद्दा है, जिसने पेंशनभोगी समाज को गहरी चिंता में डाल दिया है। यह केवल आर्थिक लाभ का मामला नहीं है, बल्कि यह उन लाखों वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा और सम्मान का भी सवाल है, जिन्होंने अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा देश की सेवा और निर्माण में लगाया है। ऐसे में सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाते हुए पुनर्विचार करना चाहिए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए रेल रियायतों को बहाल करना चाहिए, ताकि उनके सस्ती और सुगम यात्रा के अधिकार को सुरक्षित रखा जा सके।