सेवानिवृत्त कर्मचारियो को तोहफा, बकाये भुगतान पर खुशखबरी, आदेश जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि वित्तीय कठिनाइयों का हवाला देकर किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी के स्वीकृत बकाये और पेंशन लाभों का भुगतान करने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए गाजीपुर के नगर पंचायत दिलदार नगर के सभी खातों को सिविल जज से अटैच करने का आदेश दिया।

मामले का विवरण

याचिकाकर्ता खूबलाल राम, जो गाजीपुर के नगर पंचायत दिलदार नगर में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद से 2018 में सेवानिवृत्त हुए थे, उनको उनके बकाये पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान नहीं किया गया।

मुख्य विवाद

➡️ याचिकाकर्ता को ₹5,07,527 की बकाया राशि मिलनी थी।
➡️ नगर पंचायत ने वित्तीय कठिनाइयों का हवाला देकर भुगतान से इनकार कर दिया।
➡️ इसके कारण याचिकाकर्ता को जीविकोपार्जन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

हाईकोर्ट का आदेश

पहला आदेश:

2 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट ने ₹1,00,000 का भुगतान करने का निर्देश दिया।
लेकिन बाकी बकाये की राशि कर्मचारियों के वेतन का बहाना बनाकर रोकी गई।

दूसरा आदेश:

9 दिसंबर को कोर्ट ने नगर पंचायत को एक सप्ताह के अंदर पूरी राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
चेतावनी दी गई थी कि भुगतान न होने पर नगर पंचायत की संपत्तियां कुर्क की जाएंगी और खाते जब्त किए जाएंगे।

17 दिसंबर की सुनवाई

कोर्ट ने पाया कि कार्यकारी अधिकारी और नगर पंचायत अध्यक्ष ने भुगतान नहीं किया और फिर से समय मांगा।
कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी बैंक खातों को अटैच करने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट की टिप्पणी

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति लाभों का भुगतान उनकी मौलिक अधिकारों के तहत आता है। वित्तीय समस्याएं इसका बहाना नहीं हो सकतीं। सेवानिवृत्ति लाभों को पाना कर्मचारी का हक होता है उसको रोकना या देने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

निष्कर्ष

यह निर्णय सरकारी और नगरपालिका अधिकारियों के लिए एक सख्त संदेश है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह फैसला पेंशनर्स और कर्मचारियों को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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