कर्मचारियो के लिए खुशखबरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया शानदार तोहफा

कर्मचारियो के लिये बहुत ही बड़ी खुशखबरी आ रही है। अक्सर जनप्रतिनिधियों (नेताओ) और अधिकारियों के दवाब में कर्मचारियो को निलंबित कर दिया जाता है। उसी को लेकर एक याचिकाकर्ता ने हाइकोर्ट में याचिका डाली थी जिसपर कोर्ट ने बहुत ही सुंदर फैसला सुनाया है, तो चलिए पूरी खबर को विस्तार में जान लेते है।

मामले का संक्षेप विवरण

यह मामला पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आज़मगढ़ के एक कर्मचारी दुष्यंत कुमार राय के निलंबन से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उनके निलंबन का आदेश जिला मजिस्ट्रेट (DM), बलिया के हस्तक्षेप और एक मंत्री की सिफारिश पर पारित किया गया, जो निगम के कर्मचारियों के सेवा मामलों में गैर-कानूनी हस्तक्षेप है।

मामले की मुख्य बातें

निलंबन का आदेश:
याचिकाकर्ता को जिला मजिस्ट्रेट (DM) के आदेश पर 17 अक्टूबर 2024 को मुख्य अभियंता (वितरण), पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, आज़मगढ़ द्वारा निलंबित कर दिया गया था। आरोप था कि याचिकाकर्ता बिल पास करने में अवैध धनराशि की मांग कर रहे थे और फर्जी प्राथमिकी दर्ज करने की धमकी देकर दबाव बना रहे थे।

जिला मजिस्ट्रेट का हस्तक्षेप:

याचिकाकर्ता के अनुसार, यह आदेश जिला मजिस्ट्रेट (DM), बलिया के दबाव में पारित हुआ। जिला मजिस्ट्रेट ने मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) से जांच करवाई और रिपोर्ट मुख्य अभियंता को भेजी, जिसके आधार पर निलंबन का आदेश दिया गया।

अदालत की टिप्पणी:

कोर्ट ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट का निगम के कर्मचारियों के मामलों में हस्तक्षेप करना प्रथम दृष्टया गैर-कानूनी है। जिला मजिस्ट्रेट (DM) का यह कहना कि वह जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर जांच करवा सकते हैं, अस्वीकार्य है। जिला मजिस्ट्रेट को यदि कोई शिकायत मिलती है, तो उसे संबंधित विभाग के सक्षम प्राधिकारी को भेजना चाहिए।

प्रथम दृष्टया निष्कर्ष:

मुख्य अभियंता द्वारा पारित निलंबन आदेश बाहरी दबाव और अप्रासंगिक आधारों पर पारित किया गया है। जिला मजिस्ट्रेट को निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

अंतरिम आदेश

निलंबन आदेश पर रोक:
मुख्य अभियंता द्वारा पारित 17.10.2024 के निलंबन आदेश को स्थगित कर दिया गया है।

याचिकाकर्ता को राहत:

याचिकाकर्ता को अपनी ड्यूटी करने और नियमित वेतन प्राप्त करने की अनुमति दी गई। जिला मजिस्ट्रेट, बलिया को मुख्य अभियंता और निगम के अन्य अधिकारियों पर किसी भी प्रकार का दबाव डालने से रोका गया।

विभागीय जांच:

मुख्य अभियंता और निगम के सक्षम अधिकारी स्वतंत्र रूप से विभागीय जांच और अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकते हैं।याचिकाकर्ता को जांच प्रक्रिया में सहयोग करने का निर्देश दिया गया।

आदेश का अनुपालन:

यह आदेश जिला मजिस्ट्रेट, बलिया और मुख्य अभियंता, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को 24 घंटे के भीतर संप्रेषित किया जाएगा।

कोर्ट का निर्देश:

सभी उत्तरदाताओं को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिया गया।मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी 2025 को होगी।

अदालत की टिप्पणी:

कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जिला मजिस्ट्रेट का निगम के मामलों में हस्तक्षेप करना अनुचित और गैर-कानूनी है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला मजिस्ट्रेट केवल उन्हीं मामलों में जांच का आदेश दे सकते हैं, जहां उनके पास स्पष्ट कानूनी अधिकार हो।
यह आदेश इस बात का उदाहरण है कि अधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर रहकर कार्य करना चाहिए और बाहरी दबाव या सिफारिशों के आधार पर निर्णय लेने से बचना चाहिए।

Leave a Comment