केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित एकीकृत पेंशन योजना (UPS) 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। यह योजना नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और पुरानी पेंशन योजना (OPS) का संयोजन है। UPS के तहत कर्मचारियों को न्यूनतम ₹10,000 मासिक पेंशन सुनिश्चित की गई है।
UPS पेंशन योजना की प्रमुख बातें
केंद्र सरकार के कर्मचारी NPS या UPS में से किसी एक योजना का चयन कर सकते हैं। इसके लिए सरकार 31 मार्च 2025 से पहले एकीकृत पोर्टल लॉन्च करेगी, जिससे कर्मचारी अपनी पसंद की योजना चुन सकेंगे।
UPS के लिए पात्रता
➡️UPS का लाभ केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिलेगा, जो 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आए हैं और NPS के तहत आते हैं।
➡️स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले कर्मचारियों को 25 साल की सेवा पूरी करनी होगी।
NPS वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए प्रावधान
जो कर्मचारी पहले से NPS में शामिल हैं और रिटायर हो चुके हैं, वे भी UPS का विकल्प चुन सकते हैं।
इसके लिए टॉप-अप राशि का प्रावधान किया जाएगा।
UPS के तहत प्रमुख शर्तें
➡️10 साल की न्यूनतम सेवा: UPS का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 साल की सरकारी सेवा पूरी करनी होगी।
➡️कर्मचारी को अपने मूल वेतन का 10% योगदान करना होगा।
➡️सरकार की ओर से 18.5% योगदान दिया जाएगा, जिससे कुल योगदान 28.5% होगा।
➡️UPS के तहत ₹10,000 मासिक पेंशन सुनिश्चित की गई है।
विशेष शर्तें
➡️इस्तीफा देने वाले या बर्खास्त कर्मियों को योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
➡️UPS विकल्प चुनने वाले कर्मचारी भविष्य में अन्य नीतिगत लाभ या समानता का दावा नहीं कर सकेंगे।
स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेने वाले कर्मचारियों के लिए शर्तें
VRS लेने वाले कर्मचारी भी UPS का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन उनको 60 साल की उम्र में ही पेंशन मिलेगी। ऐसे कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु तक इंतजार करना होगा।
UPS का उद्देश्य और लाभ
केंद्र सरकार ने UPS को NPS से जुड़ी चिंताओं को दूर करने और कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए पेश किया है। UPS के माध्यम से, सरकार ने OPS के लाभों को भी शामिल किया है, ताकि कर्मचारियों को अधिक स्थायित्व मिल सके। हालांकि अभी भी UPS में बहुत सारी खामियां है जिसको दूर करने की जरूरत है।
निष्कर्ष
एकीकृत पेंशन योजना (UPS) केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एक बड़ा कदम है, जो पुरानी पेंशन और नेशनल पेंशन सिस्टम के बीच संतुलन बनाता है। यह योजना न केवल रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि कर्मचारियों के लिए बेहतर विकल्प भी प्रदान करती है। अगर कर्मचारियो को उनके अंशदान का पैसा मिल जाता तो योजना सफल होती पर कर्मचारी गण इसका विरोध कर रहे है।