CAT मुंबई का ऐतिहासिक आदेश: 12 साल बाद पेंशन से कम्युटेशन की वसूली पर लगाई रोक, खुशखबरी का आदेश

हाल ही में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल CAT मुंबई द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसमें उन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को राहत दी गई है जिन्होंने 12 साल पहले पेंशन का 40% हिस्सा कम्युटेशन के रूप में लिया था। ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि इन कर्मचारियों से अब पेंशन से कम्युटेशन का कोई और हिस्सा वसूला नहीं जाएगा। इस फैसले ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के वित्तीय हितों को ध्यान में रखते हुए एक नई मिसाल स्थापित की है।

मामले की पृष्ठभूमि

कर्मचारी सेवानिवृत्त होने के बाद अपनी पेंशन का 40% हिस्सा कम्युटेशन करा सकते है, जिसे ‘पेंशन का कम्यूटेशन’ कहा जाता है। इसके बाद कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद एकमुश्त राशि मिलती है, जिसके बदले उनकी पेंशन से मासिक कटौती की जाती है। वर्ष 1981 में लागू नियमों के अनुसार यह कटौती 15 वर्षों तक चलती है, जिसके बाद पेंशन की कटौती बंद हो जाती है और पूर्ण पेंशन पुनः चालू हो जाती है।

याचिकाकर्ताओ का तर्क

इस मामले में याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि 5वें केंद्रीय वेतन आयोग ने पेंशन की कटौती अवधि को 12 साल करने की सिफारिश की थी, जो कई राज्यों द्वारा अपनाई गई है। गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों ने इस अवधि को घटाकर क्रमशः 12 और 13 साल कर दिया है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि ब्याज़ दरों में कमी आई है और जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है, जिससे पेंशन की वसूली अवधि को कम करना न्यायसंगत है। 

CAT मुंबई ने दिया अंतरिम राहत का आदेश

CAT ने अपने आदेश में पाया कि आवेदकों की मांग तर्कसंगत है और कई अन्य राज्यों में भी 12 वर्ष की अवधि के बाद पेंशन की पूर्ण बहाली दी जाती है। इसके अतिरिक्त, CAT ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा इसी तरह के मामलों में दिए गए निर्णयों का भी उल्लेख किया, जिनमें केंद्रीय कर्मचारियों को राहत दी गई थी। इसके बाद CAT ने पेंशन से कम्युटेशन की कटौती पे रोक लगा दी। 

निष्कर्ष

CAT का यह आदेश उन कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है जो पेंशन से कम्युटेशन की वसूली अवधि को लेकर संघर्ष कर रहे थे। यह आदेश न केवल कर्मचारियों के हित में है बल्कि उनके वित्तीय अधिकारों को भी संरक्षित करता है। इसके साथ ही आपको बता दूँ कि सरकार CAT के आदेश को कोर्ट में चैलेंज भी नही कर सकती है। ऐसे में सरकार को इसका लाभ सभी पेंशनभोगियों के लिए लागू करना ही पड़ेगा।

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