उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने की मांग पर सरकार ने स्पष्ट जवाब दिया है। हाल ही में, विधानसभा के पहले सत्र 2025 के दौरान विधायक डॉ. संगम यादव (अतरौलिया) द्वारा पूछे गए तारांकित प्रश्न संख्या-12 के जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि बेसिक शिक्षा परिषद के नियंत्रणाधीन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा देने पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
सरकार का उत्तर:
बेसिक शिक्षा मंत्री से यह पूछा गया था कि क्या उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा दी जाएगी। इस पर सरकार ने “जी नहीं” कहते हुए स्पष्ट रूप से इसे अस्वीकार कर दिया।
अगर नहीं, तो क्यों नहीं? इस प्रश्न के उत्तर में सरकार ने बताया कि:
- उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद एक निगमित निकाय है, न कि सीधे राज्य सरकार के अंतर्गत आने वाला विभाग।
- परिषद के अधीन कार्यरत शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारी परिषद के कर्मचारी माने जाते हैं, न कि राज्य सरकार के।
- चिकित्सा विभाग, 30ए0 शासनादेश संख्या-2257/5-6-11-1082/87, दिनांक 20-09-2011 के प्रविधानानुसार, कैशलेस चिकित्सा सुविधा केवल राज्य कर्मचारियों को अनुमन्य है।
शिक्षकों में नाराजगी
इस उत्तर के बाद शिक्षकों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। लंबे समय से बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें भी सरकारी कर्मचारियों की भांति कैशलेस चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया जाए।
शिक्षकों का तर्क है कि:
- वे भी सरकारी सेवा में शिक्षा देने का कार्य करते हैं।
- सरकारी शिक्षकों की भांति वे भी विभिन्न प्रकार के प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों में योगदान देते हैं।
- चिकित्सा सुविधा मिलना उनका अधिकार है क्योंकि वे भी राज्य सरकार के ही एक अंग के रूप में कार्य करते हैं।
आगे क्या?
शिक्षक संगठनों का कहना है कि वे सरकार के इस निर्णय के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे और अपनी मांगों को और प्रभावी ढंग से उठाएंगे। कई शिक्षक संघ इस विषय पर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में सरकार इस मुद्दे पर कोई पुनर्विचार करती है या नहीं। फिलहाल, उत्तर प्रदेश सरकार का स्पष्ट रुख यही है कि बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों को राज्य कर्मचारियों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा नहीं दी जाएगी।