पेंशनभोगियों के लिए कम्यूटेशन और अतिरिक्त पेंशन के नियमों में संशोधन

पेंशनभोगियों के लिए कम्यूटेशन रिकवरी और अतिरिक्त पेंशन से जुड़े मुद्दे समय-समय पर चर्चा का विषय बनते रहे हैं। हाल ही में गुवाहाटी हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों ने इस दिशा में नई उम्मीदें जगाई हैं।

यह लेख इन निर्णयों के संदर्भ में पेंशनभोगियों के अधिकारों और प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करता है।

80 वर्ष की आयु पर अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान

पेंशनभोगी जब 80, 85, 90, 95, या 100 वर्ष की आयु प्राप्त करते हैं, तो उन्हें मूल पेंशन पर क्रमशः 20%, 30%, 40%, 50%, और 100% अतिरिक्त पेंशन प्रदान की जाती है। यह सुविधा रक्षा कर्मियों और सिविल सरकारी कर्मचारियों दोनों के लिए समान रूप से लागू है।

हालांकि संसदीय समिति की सिफारिश के बाद 65 साल से ही हर 5 साल पर 5% पेंशन बढ़ाने की मांग की जा रही है लेकिन अभी तक यह मामला ठंडे बस्ते में है।

गुवाहाटी उच्च न्यायालय का निर्णय:

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने पेंशनभोगियों को 79 वर्ष की आयु में अतिरिक्त पेंशन प्रदान करने का आदेश दिया था, जिसे सरकार ने मौजूदा नीति के खिलाफ बताया और इसे लागू नही किया। अभी हाल ही में इस मुद्दे पर रक्षा मंत्रालय ने DOPPW से स्पष्टता मांगी है और निर्णय न्यायपालिका तक ही सीमित बताया है।

यानी कि जो न्यायालय में जाके जीत रहे है केवल उन्हीं को इसका फायदा दिया जा रहा है। सर्वसामान्य पेंशनभोगियों को इसका फायदा नही मिल रहा है।

कम्यूटेशन रिकवरी की अवधि में संशोधन की आवश्यकता

मौजूदा नियम के अनुसार 15 वर्षों के बाद पेंशनभोगियों की कम्यूटेड पेंशन राशि को बहाल किया जाता है। यह प्रावधान 1986 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर लागू है।

न्यायालय के आदेश:

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय और सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) ने 12 वर्षों के बाद कम्यूटेशन रिकवरी रोकने का आदेश दिया। यह फैसला पेंशनभोगियों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।

सरकार की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेने के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoP&PW) की टिप्पणी का इंतजार है।

पेंशनभोगियों के लिए राहत की दिशा में कदम

12 वर्षों के बाद कम्यूटेशन रिकवरी को समाप्त करने के आदेश को सभी पेंशनभोगियों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। इससे वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय राहत मिलेगी।

नीति में सुधार की जरूरत

अतिरिक्त पेंशन की आयु सीमा में लचीलापन लाने और कम्यूटेशन रिकवरी की प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता है। पेंशनभोगियों को बार-बार न्यायालय का सहारा लेने के लिए मजबूर करने के बजाय, सरकार को अपने स्तर पर इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

निष्कर्ष

पेंशनभोगियों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार और न्यायपालिका दोनों की प्राथमिकता होनी चाहिए। गुवाहाटी उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया फैसले इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं। सरकार को इन निर्णयों को व्यापक रूप से लागू करने और पेंशनभोगियों के लिए एक सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में तेजी से कार्य करना चाहिए।

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