EPS-95 (Employees’ Pension Scheme, 1995) पेंशन योजना को लेकर हाल के वर्षों में सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। इसी को लेकर एक पेंशनभोगी श्री अनिल कुमार नामदेव जी ने एक स्पस्टीकरण दिया है जो कि हर पेंशनभोगी को जानना बेहद ही जरूरी है। तो चलिए जान लेते है कि नामदेव जी ने क्या कुछ कहा है।
श्री अनिल कुमार नामदेव जी ने फ़ेसबुक पेज पर स्पस्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि हताश और निराश पेंशनभोगियों का गुस्सा इस बात पर है कि यह योजना कांग्रेस सरकार के समय बनाई गई थी और इसे सही तरीके से लागू करने में हर सरकार ने कोताही बरती है।
EPS पेंशन पर कांग्रेस सरकार की भूमिका
उन्होंने कहा कि EPS-95 योजना कांग्रेस सरकार के समय में बनी, और इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक न्यूनतम वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना था। यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंतर्गत बनाई गई, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान शामिल था। हालांकि, शुरू से ही इस योजना में कई खामियां थीं, जैसे:
➡️न्यूनतम पेंशन की अपर्याप्त राशि।
➡️महंगाई के अनुसार कोई पेंशन वृद्धि का प्रावधान नहीं।
➡️पेंशनभोगियों की स्वास्थ्य और अन्य जरूरतों को नजरअंदाज करना।
क्या केवल कांग्रेस जिम्मेदार है?
नामदेव जी ने आगे कहा कि पेंशनभोगियों का मानना है कि EPS-95 की खामियों के लिए सिर्फ कांग्रेस सरकार दोषी है पर कॉंग्रेस को दोषी ठहराना सही नहीं है। यह सच है कि यह योजना कांग्रेस सरकार का निर्माण है, लेकिन बीते दशकों में आई अन्य सरकारों ने भी इसे सुधारने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
भाजपा सरकार पर सवाल:
पिछले 10 वर्षों से, पेंशनभोगी मोदी सरकार से अपनी समस्याओं के समाधान की मांग कर रहे हैं। पेंशनभोगियों ने प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों से लगातार गुहार लगाई। इसके बावजूद, मूलभूत समस्याओं का समाधान नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट तक के फैसलों के बावजूद, श्रम मंत्रालय और EPFO का रवैया पेंशनभोगियों के लिए असंवेदनशील बना हुआ है।
क्या सुधार संभव नहीं है?
पेंशनभोगी सवाल करते हैं कि धारा 370 हटाई जा सकती है, तो EPS-95 में सुधार क्यों नहीं किया जा सकता? अगर अंग्रेजों के बनाए कानून बदले जा सकते हैं, तो इस योजना की खामियों को दूर करने में इतना समय क्यों लग रहा है? सांसदों और मंत्रियों के वेतन और पेंशन में मिनटों में निर्णय हो सकता है, तो EPS-95 पेंशनभोगियों के लिए न्याय क्यों लंबित है?
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय और सरकार का रवैया
पेंशनभोगी न्याय की तलाश में सुप्रीम कोर्ट तक गए। कोर्ट के फैसले उनके पक्ष में आए, लेकिन उन्हें लागू करने में EPFO और श्रम मंत्रालय की उदासीनता ने पेंशनभोगियों को भटकने पर मजबूर कर दिया। पेंशनभोगियों को लगता है कि वर्तमान सरकार भी कांग्रेस जितनी ही दोषी है।
निष्कर्ष: सरकारों की सामूहिक जिम्मेदारी
नामदेव जी के अनुसार EPS-95 योजना केवल कांग्रेस सरकार की देन नहीं है, बल्कि इसके प्रभावी क्रियान्वयन और सुधार की जिम्मेदारी हर सरकार की है। पेंशनभोगियों की निराशा यह दिखाती है कि हर सरकार ने उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया है। समाज के वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह एक गंभीर मुद्दा है, जिसे राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर हल करना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वह इस योजना में सुधार करके न्याय और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करे, ताकि पेंशनभोगियों को उनकी मेहनत का सही फल मिल सके।